स्मृति ईरानी श्मशान तक ले गईं अर्थी, चहेते नेता की मां से बोलीं- आज से मैं आपका बेटा

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अमेठी की नई सांसद स्मृति ईरानी रविवार को दिवंगत पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह के घर पहुंचीं। उन्होंने सुरेंद्र सिंह की मां की गोद में अपना सिर रख कर कहा कि आज से मैं ही आपका बेटा हूं। स्मृति ने जहां बड़े भाई नरेंद्र के पैर छूकर बहन होने का अहसास कराया, तो दिवंगत कार्यकर्ता की पत्नी को बांहों में भर अपनत्व का मरहम लगाने की भी कोशिश की। शादीशुदा बेटी पूजा व प्रतिमा के सिर पर अपना हाथ फेरा और कहा हर पल साथ रहेगी तेरे पापा की दीदी। सुरेंद्र सिंह का 21 वर्षीय बेटा अभय नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी को देख रो पड़ा, तो उन्होंने उसे गले लगा लिया। उसका हाथ थामकर कहा, कसम खाओ मेरी कि तुम कुछ गलत नहीं करोगे। उन्होंने कहा- तुमने अपने पापा को और हमने अपना भाई खोया है। इतना सुन वहां खड़ा हर शख्स सन्न रह गया। स्मृति अभय का हाथ पकड़ घर से बाहर आईं और कहा आओ कांधा देते हैं। एक तरफ स्मृति ने अर्थी में कांधा लगाया तो दूसरी ओर बेटे अभय ने। पिता के गम में सुधबुध खो बैठा बेटा कुछ कदम चलकर लड़खड़ाया, तो भाजपा के दूसरे बड़े नेताओं ने अर्थी थाम ली। स्मृति ईरानी ने शव को घर से श्मशान तक अपने कंधों पर उठाए रखा। 300 मीटर की दूरी और हजारों की भीड़। तमाम लोगों ने कहा कि दीदी हटो हम पकड़ते हैं, लेकिन बिना कुछ बोले स्मृति ईरानी चुपचाप अर्थी थामे श्मशान की ओर बढ़ती रहीं। उन्होंने अर्थी को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रास्ते में पांच जगह जमीन पर रखा और उठाया और अंतिम बार चिता के करीब ही उसे छोड़ा।