लोकसभा चुनाव 2019 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरना धर्मको़ड लागू करने की बात कह कर ऐन वक्त पर ऐसा कार्ड खेला जिसे महानुभवी झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन भी नहीं भेद पाए। इस विषय को उठाकर रघुवर दास बीजेपी को पूरा लाभ पहुंचाने में कामयाब रहे। बता दें कि प्रदेश में आदिवासी समाज काफी समय से सरना धर्मकोड की मांग करता रहा है। मगर उनकी यह मांग हमेशा ही अनसुनी कर दी जाती रही। दरअसल बीजेपी इससे होनेवाले लाभ-हानि को ध्यान में रखते इसे छूने से परहेज कर रही थी। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान रघुवर दास ने कह दिया कि वह इसे लागू करना चाहते हैं, क्योंकि ये लोगों के हित से जुड़ा हुआ है। रघुवर दास के इतना भर कहने मात्र से आदिवासी समाज बीजेपी के समर्थन में खड़ा हो गया। उन्हें विश्वास हो गया कि जब प्रदेश का मुखिया ऐसी घोषणा कर रहा है तब उनकी मांग मान ली जाएगी। सरना धर्मकोड लागू करने की अनुशंसा की बात कहकर रघुवर दास पार्टी के लिए सहानुभूति बटोरने में कामयाब हो गए। बस इसी एक घोषणा से रघुवर दास बीजेपी के लिए लाखों वोट जुटाने में कामयाब हो गए। मुख्यमंत्री ने सरना धर्म कोड की तरफदारी कर जनजातियों के बीच अपना और पार्टी का कद ऊंचा कर लिया। बीजेपी की इस घोषणा से क्षेत्रीय दल कमजोर पड़ गए। इसका फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को हो गया। बीजेपी राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हो गई। इतना ही नहीं पार्टी को बाकी सभी सीटों पर जनजातीय समाज का पूरा समर्थन भी मिला। रघुवर दास द्वार खेला गया यह ऐसा कार्ड था जिसे विपक्षी पार्टियां समझ ही नहीं पाई। बता दें कि केंद्रीय सरना समिति के साथ ही भाजपा का अनुसूचित जनजाति मोर्चा अपनी इस मांग को बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में समय-समय पर उठाता भी रहा है।बता दें कि इससे आदिवासी समुदाय की अपनी पहचान भी जुड़ी है। आदिवासी समाज अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का हवाला देकर अपने लिए जनगणना में अलग कोड की मांग करता रहा है। सरकारी नौकरियों के आरक्षण में धर्म कोड लागू हो जाने का फायदा जनजातीय समाज को मिलेगा। भाजपा की रणनीति इस धर्म कोड को लागू कर धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को जनजातीय समाज के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित करना है। इस वक्त धर्मकोड लागू नहीं होने की वजह से इसका फायदा उस ईसाई समाज को ज्यादा हो रहा है जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है।