वन अधिकार कानून उनके लिए बना है, जो हजारों सालों से वनों की रक्षा कर रहें है- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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जगदलपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दो दिवसीय बस्तर दौरे पर है। जहां पर आज वन अधिकारों की मान्यता के क्रियान्वयन पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि यह कानून उनके लिए बना है, जो हजारों सालों से वनों की रक्षा कर रहें हैं। इसलिए उनके अधिकार के लिए बने इस कानून का प्रदेश में पूरी गंभीरता और ईमानदारी से लागू किया जाए। सीएम भूपेश बघेल ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा बड़े पैमाने में वनाधिकार पत्रों को निरस्त किया गया है, जिसकी समीक्षा की जरूरत है। ग्राम स्तर पर ग्राम सभाओं में इसका परीक्षण किया जाए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सामुदायिक वन अधिकार के प्रकरणों का निपटारा किया जाए। इससे व्यक्तिगत दावों में विवाद की गुंजाईश कम होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों में आदिवासियों के अलावा परम्परागत रूप से रहवासियों की भी संख्या अधिक है, लेकिन इन्हें वनाधिकार मान्यता पत्र कम संख्या में मिले हैं। इन्हें भी प्राथमिकता में रखते हुए मान्यता पत्र दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कार्यशाला में कहा कि अबूझमाड़ एक ऐसा क्षेत्र है, जहां किसी प्रकार का सर्वे भी नहीं हुआ है। यहां के रहवासियों को कैसे वनाधिकार मान्यता पत्र दिया जाए, इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा अबूझमाड़ के रहवासियों को उनके द्वारा अनुमानित रकबा बताने पर तथा उनके द्वारा बनाए गए चैहदी के आधार पर वन अधिकार मान्यतापत्र दिया जाए। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि जल-जंगल-जमीन की प्रबंधन का अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए। छत्तीसगढ़ के 20 हजार ग्रामों में वन भूमि अंकित। उन्होंने कहा कि वनाअधिकार पत्र उपलब्ध कराने की कोई अंतिम तिथि नहीं है। पात्र हितग्राहियों को वनअधिकार पत्र दिया जाए। आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि वनअधिकार पत्र अनिधिनियम की जानकारी देने के लिए प्रत्येक जिले में कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए। मुख्य सचिव सुनील कुमार कुजूर ने कहा कि वनअधिकार पत्र देने का काम राज्य शासन का है। शासन द्वारा आदिम जाति विकास विभाग को इसके लिए नोडल विभाग बनाया गया है। वनअधिकार पत्र के आवेदनों को ग्राम सभा में पारित कराकर स्वीकृति के लिए भेजा जाए। इस मौके पर राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल, आबकारी मंत्री कवासी लखमा एवं आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, बस्तर सांसद दीपक बैज, बस्तर विकास के प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली सहित बस्तर क्षेत्र के सभी जिलों के कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व तथा वन विभाग, राजस्व विभाग, आदिम जाति एवं अनुसूचित विकास विभाग के अधिकारी मौजूद थे।