अयोध्या से पहले ‘ननिहाल’ अर्थात् छत्तीसगढ़ में बन चुका है भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर |

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रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने भगवान राम के मंदिर निर्माण को लेकर रास्ता साफ कर दिया हैं लेकिन इससे पहले भगवान श्रीराम के ननिहाल में पहले ही भव्य राम मंदिर का निर्माण हो चुका है। भगवान श्रीराम के ननिहाल कौशलप्रदेश यानी वर्तमान के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में साढ़े तीन साल पहले अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम मंदिर की तर्ज पर 17 एकड़ क्षेत्र में मंदिर का निर्माण किया गया था। उस वक्त मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अनेक संत, महात्मा पधारे थे, संतों ने भविष्यवाणी की थी कि जब ननिहाल में भगवान श्रीराम का मंदिर बन चुका है तो शीघ्र ही अयोध्या में भी मंदिर अवश्य बनेगा। अब अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है तो इस मौके पर भगवान के दर्शन करने और आभार व्यक्त करने मंदिर में हजारों की संख्या में भक्तगण पहुंच रहे हैं।

सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ आए थे

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री नहीं बने थे तब 3 फरवरी 2017 को मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे थे। साथ ही संत विजय कौशल महाराज, गोविंद गिरी महाराज, साध्वी ऋतंभरा समेत अनेक संतगण और विश्वहिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक, अनेक नेताओं ने अयोध्या में मंदिर बनने की प्रार्थना की थी। सन 2005 में की थी भव्य मंदिर की कल्पना |

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि अयोध्या की तर्ज पर भव्य मंदिर बनाने की कल्पना 2005 में की गई थी। एक समिति गठित कर रूपरेखा बनाई गई और दूधाधारी मठ ट्रस्ट ने मंदिर बनाने के लिए जमीन दी। सदस्यों की अपील पर अनेक दानदाताओं ने मंदिर बनाने में बढ़चढ़कर सहयोग किया था। वर्तमान में श्रीराम मंदिर निर्माण समिति, धर्मजागरण समन्वय, श्रीठाकुर रामचंद्र स्वामी न्यास के नेतृत्व में मंदिर का संचालन किया जा रहा है।

यहाँ पर अनेको सुविधाएँ के साथ मनमोहक दृश्य भीशामिल हैं,जो निम्न्लिखित हैं आइये उन्हें जानते हैं:

*आदिवासी बालक छात्रावास

मंदिर के पीछे आदिवासी बालक छात्रावास में अनेक बच्चे संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उनके ठहरने, शिक्षा की निशुल्क व्यवस्था की गई है।

*माता कौशिल्या गोशाला

मंदिर परिसर में माता कौशिल्या गोशाला संचालित किया जा रहा है। यहां पर अनेक गायों का पालन किया जा रहा है।

*माता जानकी रसोई

माता जानकी रसोई में मात्र 20 रुपये में भक्तों को भरपेट भोजन खिलाया जाता है।

*नक्षत्र वाटिका

मंदिर में नवग्रह एवं नक्षत्र वाटिका और हनुमान मंदिर निर्माणाधीन है। मंदिर के चारों ओर दो पथ बनाए गए हैं। पहला रामजानकी पथ द्वारा गर्भगृह की परिक्रमा और नारायण पथ में संपूर्ण मंदिर की परिक्रमा की जा सकती है।

*सात क्षेत्रों से लाई गई थी मिट्टी और पवित्र जल

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सात क्षेत्रों जनकपुर, देवगढ़, किलकिला, कोसीर, जगदलपुर, सुकमा से मिट्टी और गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, सिंधु, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र नदी से पवित्र जल लाया गया था।

*सिंहासन में पांच किलो सोना जड़ा

राम, सीता और हनुमान के अलावा मंदिर में 16 देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। भगवान राम और सीता जिस सिंहासन पर बैठे हैं उस गर्भगृह की चौखट को सजाने में पांच किलो सोना जड़ा गया है।

*मूर्ति बनाने में लगे थे चार महीने

राम लला की मूर्ति एक सिंगल पत्थर को तराशकर बनाई गई है। इस साइज के पत्थर को ढूंढने में राजस्थान में डेढ़ साल लगे थे और मूर्ति बनाने में 4 महीने लगे थे।

*मंदिर की मुख्य विशेषताएँ

*15 करोड़ की लागत

* 109 फीट ऊंचा मंदिर, इस पर 9 फीट का कलश

*वातानुकूलित हॉल में 500 भक्तगण कर सकते हैं कीर्तन

*मंदिर का इंटीरियर अनिल गुप्ता, मनीष टावरी और बेंगलुरू के देशपांडे ने किया है।

*17 एकड़ में मंदिर समेत गोशाला, छात्रावास, सीता रसोई

*12 खंभों एवं 3 गुंबद पर टिका

– 140 फीट चौड़ा, 110 फीट लंबा मंदिर

*मंदिर के मध्य में सूर्य मंडप जहां चारों दिशा से किरणें परावर्तित होकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।