लखनऊ। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती सीबीआई और ईडी के दबाव में हैं, इसलिए उन्होंने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से बातचीत होने के बावजूद समझौता नहीं किया था। उन्होंने खुलासा किया कि बीएसपी के नेताओं से रात के दो-दो बजे तक बातचीत हुई थी और बैठकें चलीं, पर बाद में उन्होंने अपना गठबंधन अजीत जोगी के साथ कर लिया। इस समझौते में बीजेपी और अजीत जोगी का तो फायदा हुआ, पर बीएसपी का वोट प्रतिशत घट गया। जब बघेल से पूछा गया कि मायावती बीजेपी की बजाय कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर क्यों हैं तो उन्होंने कहा कि इसके पीछे मायावती का यही डर हावी है। वह नहीं डरतीं तो बीजेपी को सिर्फ तीन सीट ही मिलतीं। यूपी दौरे पर आए छत्तीसगढ़ के सीएम ने यूपी, छत्तीसगढ़ की राजनीति, यूपी में कांग्रेस के संगठन और पिछड़ों की राजनीति पर खास बातचीत की। यूपी में दो पार्टियां एक हो गई हैं, कांग्रेस की स्थिति क्या रहेगी। बूथ स्तर तक का संगठन नहीं है। इस सवाल पर कहा- यह ठीक बात है कि अगर नीचे स्तर तक आपका संगठन रहता है तो आपकी बात सीधे निचले स्तर तक पहुंच जाती है। यूपी में संगठन है पर अभी निचले स्तर तक उतना मजबूत नहीं हैं। पर कई जगह तो बूथ स्तर तक संगठन रहने के बावजूद बड़े-बड़े नेता हार चुके हैं। 1980 और 1977 का चुनाव इसका सटीक उदाहरण हैं, कई बड़े अपनी सीट तक नहीं बचा पाए थे। यह मानिए कि जब लहर चलती है तो मतदाता खुद चुनाव लड़ने लगता है और बिना मजबूत संगठन के भी चुनाव जीते हैं। कांग्रेस यूपी में धीरे-धीरे मजबूत स्थिति में आ चुकी है। कांग्रेस का प्रदर्शन इस चुनाव में बेहतर रहेगा। असली गठबंधन या तो यूपीए का है या एनडीए का है। कांग्रेस ने देश भर में कई राज्यों में अलग-अलग गठबंधन किए हैं। पूरे देश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही लड़ाई है। हम कई राज्यों में गठबंधन के साथियों के साथ बेहतर कर रहे हैं। यूपी में गठबंधन केवल एक राज्य तक सीमित है। यहां भी हम लड़ाई में हैं। देश में सरकार बनाने के लिए पूरे देश का समर्थन चाहिए, उसमें हम मजबूत हैं। इस चुनाव में मोदी के खिलाफ कोई शोर नहीं सुनाई पड़ता, कोई मुकाबला नहीं दिखता। इस पर उन्होंने कहा- यह सही नहीं है। चौकीदार चोर है का नारा छत्तीसगढ़ से शुरू हुआ था। अब पूरे देश में सुनाई पड़ रहा है। युवा हो या बुजुर्ग, हर कोई इस नारे को जोर आवाज में लगा रहा है। अगर किसी की आवाज को दबाया जाता है तो वह तेज स्वर में उभर कर सामने आती है। इसका असर दिखाई पड़ेगा। ईवीएम में गड़बड़ी के सवाल पर उन्होंने जवाब में कहा कि ईवीएम के खिलाफ शिकायत तो है ही। अधिकांश मतदाता गरीब, किसान और महिलाएं हैं, वह ईवीएम को अभी नहीं समझते हैं। जैसे कंप्यूटर को नहीं समझा जा सकता, वैसे ही ईवीएम की तकनीकी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। अगर किसी ईवीएम मशीन को बूथ पर उल्टा करके रख दें तो पहले नंबर का प्रत्याशी आखिरी नंबर पर आ जाता है। अगर दो मशीनें हैं और पहली वाली को दूसरी की जगह रख दें तो भी मतदाता का क्रमांक बदल जाता है। ऐसे में उल्टी मशीन पर एक नंबर पर वोट देने की इच्छा रखने वाला मतदाता आखिरी नंबर का बटन दबाकर चला आता है। इस तरह की शिकायतें सामने आयी हैं। इसकी पड़ताल करने की जरूरत है। जब उनसे पूछा गया कि आपने दीनदयाल उपाध्याय के नाम की योजनाएं बंद कर दीं या नाम बदल दिए तब उन्होंने जवाब दिया कि-केंद्र की सारी योजनाओं का नाम बदलने की शुरूआत किसने की थी। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का नाम किसने बदला। हमने अपनी तरफ से कोई शुरूआत नहीं की। योजनाओं को उनके मूल स्वरूप में वापस ला रहे हैं। पिछड़े वर्ग के बारे में पूछने पर कहा कि पिछड़े वर्ग से आने वाले किसान भी हैं। कांग्रेस सरकारों ने किसानों का हमेशा ख्याल रखा है। हमने छत्तीसगढ़ में सभी तरह के किसानों का कर्जा माफ किया। सहकारी और सरकारी बैंकों तक का कर्ज माफ किया गया। न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया। बीजेपी केवल धार्मिक-जातीय भावनाओं को आगे करके वोट लेती है। वोट लेने के बाद उन्हें भूल जाती है। पिछड़े वर्ग का मतदाता यह समझता है कि सरकार बनी तो कांग्रेस ही उसका भला करेगी।