गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की मौत की वजह बनने वाले पैनक्रियाटिक कैंसर की शुरूआती दौर में पहचान करना मुश्किल होता है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण एकदम से नजर नहीं आते हैं। पैनक्रियाज यानी अग्नाशय में कैंसर के शुरूआती लक्षण इतने साधारण होते हैं, कि इसे कैंसर मान लेना मुश्किल होता है। मगर जब तक इसकी भनक लगती है तब तक कैंसर अपने विकराल रूप में आ चुका होता है। आज की बेतरतीब लाइफस्टाइल की वजह से पैंक्रियाटिक कैंसर के मामलों में तेजी आई है। इसका कारण अनियमित जीवनशैली के अलावा अस्वस्थ खानपान और मिलावट भी है। इसके अलावा धूम्रपान शराब रेड मीट व ज्यादा चर्बी वाली चीजें अधिक खाने वालों को इसका खतरा अधिक रहता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण
पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना। स्किन आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना। भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टियां होना। कमजोरी महसूस होना और वजन का घटना । इसलिए मुश्किल है इसकी पहचान
अग्नाशय शरीर में बहुत अंदर स्थित होता है। बाहर से देखने पर या छूकर इसका पता लगाना संभव नहीं होता है। पेट के काफी अंदर होने के कारण पैनक्रियाज कई अंगों से ढका रहता है। इसलिए अग्नाशय में कैंसर की गांठ का पता नहीं चल पाता है। पैनक्रियाज कैंसर में शुरूआत में पेट दर्द की शिकायत रहती है। मगर अक्सर लोग इसे साधारण पेट दर्द मानकर पेनकिलर ले लेते हैं। पैंक्रियाज कैंसर के कुछ लक्षण अन्य बीमारियों से भी मिलते हैं इसलिए भी इस कैंसर की जांच मुश्किल हो जाती है। इसके शुरूआती लक्षण पीलिया हेपेटाइटिस गॉल स्टोन से भी मेल खाते हैं। इन बीमारियों में भी शरीर में सीरम बिलीरुबिन असामान्य रूप से बढ़ जाता है। एसिडिटी कब्ज पेट दर्द अपच आदि भी इसकी पहचान होते हैं। मगर यह लक्षण इतने साधारण हैं कि इनके होने पर किसी का ध्यान पैंक्रियाटिक कैंसर की तरफ नहीं जाता है।