गरियाबंद के हृदय स्थल गांधी मैदान में सत्संग मानस मंडली द्वारा आयोजित राम कथा में अयोध्या धाम से पधारे मानस विदुषी देवी चंद्रकला जी का अद्भुत प्रस्तुति

0
161

राम जी तक पहुंचने का सबसे मुख्य और आसान जरिया है हनुमान जी और श्री हनुमान जी कहते है श्री रघुनाथ जी को प्रेम से बहुत प्रेम है
उक्त बातें गरियाबंद के हृदय स्थल गांधी मैदान में श्री सत्संग मानस मंडली द्वारा आयोजित राम कथा में अयोध्या धाम से पधारे मानस विदुषी देवी चंद्रकला जी ने तृतीय दिवस पर श्री राम जन्मोत्सव की कथा का रसपान कराते हुए बताए कि जब जब इस धरा धाम पर धर्म को करने वालों की संख्या कम हो जाय और अधर्म करने वालों की संख्या बढ़ने लगे तब तब इस भारत भूमि पर अपने संतो के लिए अपने भक्तों के हितार्थ भगवान श्री राम का अवतार होता है ।

प्रभु श्री राम के जन्म का कारण

प्रभु के जन्म के वैसे तो अनेक कारण है उनमें से सबसे पहला कारण है जय और विजय ये दोनों भाई बैकुंठ के द्वारपाल हैं , जो द्वार पर तो रहते हैं लेकिन फिर भी इनके मन में दुर्भाव आ गया और अभिमान के बीज ने इनके हृदय में जन्म ले लिया , एक बार संनकादिक मुनि प्रभु श्री के दर्शन भेंट के लिए पहुंचे , लेकिन जय और विजय द्वारपाल ने मुनियों को दरवाजे पर रोक दिया , मिलने ही नहीं दिया मुनियों द्वारा तीन बार आग्रह करने के बाद भी दर्शन के लिए जाने न दिया तो ऋषियों को क्रोध आया और कमंडल से जल निकाल ऋषियों ने उन्हें श्राप दिया कि जाओ तुम तुम दोनों भाई असुर योनि में जन्म मिलेगा।
जैसे ही श्राप दिए तो दोनों द्वारपाल ऋषियों के चरणों में गिर पड़े और श्री ठाकुर जी भी दौड़ते दौड़ते आए
भगवान सबके प्रति अपराध सह सकते हैं अपने प्रति तक सह सकते हैं और लेकिन अपने भक्तों के प्रति अपराध भगवान कभी नहीं सहते

ऋषियों ने प्रभु श्री रघुनाथ जी से कहा कि हर युग में आपके द्वारपाल जय और विजय के उद्धार के लिए प्रभु आपको ही आना पड़ेगा तब सतयुग में ये दोनों भाई हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष बने और प्रभु रघुनाथ जी नरसिंह और बराह अवतार लेकर मोक्ष प्रदान किए।
त्रेता युग में ये दिन रावण और कुंभकर्ण बने तब प्रभु ने श्री राममवतार लेकर मोक्ष दिया और यही दोनों भाई जब द्वापर युग में दंतवक्र शिशुपाल बनकर जन्मे तो इनके उद्धार के लिए प्रभु ने कृष्णावतार लेकर मोक्ष प्रदान किए।
गरियाबंद के गांधी मैदान में आज रामकथा के तीसरे दिवस पर अयोध्या धाम से पधारे मानस विदुषी देवी चंद्रकला ने कहा कि भक्ति में अगर आप शामिल में हो जाएं तो अच्छी बात है पर अगर भक्ति न भी बने तो हमारे गुरुजन कहते हैं जो भक्ति कर रहा हो उसकी सहायता कर दो तो भी तुम्हारी भक्ति है उन्होंने महान संत रैदास जी महराज के उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने जुता गांठने का काम कभी नहीं छोड़ा , अपनी वो सेवा देते थे सबसे वो अपने काम के पैसे लेते लेकिन जब कोई संत या भक्त आ जाते तो रैदास जी कभी भी उनसे दाम नहीं लेते थे निःशुल्क सेवा देते थे वो कहते थे मैं तो तीर्थ जा नहीं पाता लेकिन आपके पाँव में जो जूते हैं ना वो तो तीर्थ कर लेंगे नाथ
गंगा मैय्या पापों का तो नाश करती है वो भी अनजाने में या भूल चूक में हुए पाप गंगा स्नान से कट जाते हैं पर पाप करने की प्रवृत्ति का नाश नहीं होता है लेकिन जब आप श्री राम कथा रूपी गंगा में डुबकी लगाते हैं तो ये गंगा पाप करने की प्रवृत्ति का ही नाश कर देती है क्योंकि राम कथा सकल लोक हितकारी होता है और ये गंगा अमेरिका या विदेशों में नहीं बल्कि सिर्फ भारतवर्ष में ही संभव है।
अब भक्त करें हैं पुकार हरि आ जाओ एक बार , एक ही तुम ही खेवनहार हरि आ जाओ एक बार के भाव पूर्ण भजन ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कथा स्थल के पास आतिशबाजी कर प्रभु श्री रघुनाथ जी के जन्मोत्सव मनाया गया देवी चंद्रकला के सोहर गीत में उपस्थित सभी मातृ शक्ति जमकर झूमे उसके बाद महाआरती किया गया।