जिला गरियाबंद भगवान को सीधे सीधे पकड़ना बहुत मुश्किल है लेकिन जिसने भक्ति को अपने पकड़ में कर लिया तो फिर तुम्हे भगवान को ढूंढने की जरूरत नहीं है बल्कि भगवान स्वयं अपने भक्तों ढूंढते आयेंगे मन में दृढ़ संकल्प और विश्वास का होना जरूरी है ।मनुष्य के तन का आहार भोजन है पर मन का आहार भजन होता है
ये उदगार थे गरियाबंद के गांधी मैदान में चल रहे राम कथा के चौथे दिवस पर देवी चंद्रकला ने
श्री राम बाल लीला का वर्णन करते बता रहे कि मेरे रघुनाथ जी जगत कल्याण के लिए देव रूप से मनुष्य रूप में अवतार लिए इसीलिए ठाकुर जी ने प्रत्येक वो आचरण किए जो एक मानव को करना चाहिए , प्रातःकाल उठते ही राम जी का पहला नियम अपने माता पिता ,गुरु और श्रेष्ठ जनो के चरणों में मस्तक रख के प्रणाम करते थे ।
हम चाहे किसी भी आयु के हों हमारे श्रेष्ठजनो के चरणों में हमारा मस्तक झुकता रहे यही मानवता का शुभ लक्षण है
चारों लल्लन के नामकरण
चारों लल्लन के नामकरण के लिए राजा दशरथ के आग्रह पर गुरुदेव वशिष्ठ भगवान ने राजा दशरथ के चार पुत्रों में राम की ओर इशारा करते हुए कहा राजन जो आनंद के सिंधु (समुद्र) हैं, सुख के परम राशि हैं आपके इन ज्येष्ठ पुत्र का नाम मै राम रखता हूं। राम तेरा नाम सारी दुनिया से न्यारा है हमें लागे बड़ा प्यारा है , तुझको सौप दिए जीवन के नैया , बन जाओ मेरे आप खेवैया , तेरे ही कृपा से मिले भक्तों की न्यारा है , राम नाम की शरण पाकर पापी उतर गए इसे अपनाकर , जीवन के मेरे तुम रखवारे तेरा सब कुछ तेरे हवाले , मुझको तो नाथ अब तेरा ही सहारा है भजन में सब झूम उठे।
भरत के नामकरण में कहा कि प्रभु प्रेम की साक्षात् प्रतिमूर्ति और संसार का भरन पोषण करने वाले इन पुत्र का नाम भरत होगा ।
और जिनके नाम स्मरण से शत्रुओं का मर्दन होगा , मनुष्य के जीवन में बाहर वाले दुश्मन उतने खतरनाक नहीं होते जितना उसके घर के भीतर बैठने वाले शत्रु जैसे काम , क्रोध , लोभ, मोह , मद और अहंकार , होते हैं इनके मर्दन करने वाले आपके इन पुत्र का नाम शत्रुध्न होगा ।
लक्ष्मण जी का नामकरण करते हुए कहा कि जो समस्त शुभ लक्षणों के धाम है जो राम जी को प्रिय है लक्ष्मण समस्त जगत के आधार होंगे।
हजारों की संख्या में भरे श्रोताओं को दीदी ने बताया कि कल प्रभु रघुनाथ जी का विवाह उत्सव है सभी श्रोताओं को सपरिवार कथा बढ़िया सज धज के कथा में आने का आव्हान कर महाआरती किया गया