प्रशासन के नाक के नीचे अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कब होगी कार्यवाही, अवैध कालोनियां बसाई गई शासन प्रशासन मौन

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गरियाबंद। यहां का प्रशासन अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्रिय हो गया है, लेकिन बड़े रसूखदार जो अवैध प्लाटिंग का धंधा कर रहे हैं, उनके ऊपर प्रशासन की मेहरबानी समझ से परे है। आखिर कब होगी कार्रवाई इसको लेकर सवाल उठने लगे है। ग्राम मालगांव में अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर माहौल गरमाया हुआ है, जिससे ग्रामीण प्रशासन से खासे नाराज हैं। इधर अवैध कालोनियां बसाई जा रही है, भू माफियाओं ने लगभग 10 अवैध कॉलोनी बसाए का प्लानिंग किया है,जिसमें से कृषि भूमि के अवैध प्लाटिंग कारोबार में कई टुकड़ों में जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है, वही इन अवैध कॉलोनियों में आलीशान घर भी बन चुके हैं, कुछ तो निर्माणाधीन भी हैं।


सूत्रों का यहां तक कहना है कि एक वर्ग विशेष के नाम पर जमीन की खरीदी कर महंगे दामों में अवैध प्लाटिंग किए जाने के कार्य किए जा रहे हैं, जांच किए जाने से सच्चाई का पता चल जाएगा। जिला मुख्यालय गरियाबंद के अलावा आसपास के ग्राम मजरकट्टा, पारागांव ,डोंगरीगांव, केशोडर ,भिलाई में चल रहे जमीन के अवैध प्लाटिंग के मामले में प्रशासन खामोश है, जबकि किसी भी तरह के हर छोटे बड़े मामले पर प्रशासन पूरी तरह से सजगता दिखाता है, फिर इसको लेकर क्यों प्रशासनिक शिथिलता है, आम लोगों के अलावा अब पत्रकारों को मोर्चा खोलना पड़ रहा है कि इस तरह के कार्य हो रहे हैं जिस पर प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।यह बताने की जरूरत पड़ गई है।


मुख्याल सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भूमाफियाओं द्वारा किए जा रहे जमीन की अवैध प्लाटिंग का मामला सार्वजनिक हो गया है। ग्राम पंचायत आमदी (म) में अवैध प्लाटिंग के कार्यवाही की मांग की है, बकायदा कलेक्टर निलेश छीरसागर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम शिकायत का आवेदन सौंपा है। उन्होंने इस आशय का आवेदन सौंपते हुए अपनी उपस्थिति में जांच कराने का आग्रह किया है। कलेक्टर ने कहा था कि जांच भी होगी और कार्यवाही भी की जाएगी। अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई पूर्व में सौंपे गए आवेदन में कहा गया है कि जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत आमदी (म)पंचायत अंतर्गत वार्ड क्रमांक 7 में स्थित कृषि भूमि में एक भूमाफिया गरियाबंद निवासी द्वारा अवैध ढंग से भूमि प्लाटिंग कर धड़ल्ले से बिक्री किया जा रहा है, जो कि अवैधानिक है। काइलोनाइजर का लायसेंस नही है। उनके द्वारा कार्यवाही करने के लिए अपर कलेक्टर को आवेदन दिया गया था। जिस पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश तत्कालिक एसडीएम को दिए गए थे। एक वर्ष बाद भी इसमें कोई भी जांच नही हुई है। जिससे इस प्रकार के अवैध कार्यों को बढ़ावा मिल रहा है, इस अवैध कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए। उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर शिकायतें लगातार हो रही है, लेकिन अभी तक प्रशासनिक कार्यवाही कहीं नजर नहीं आ रही है। आवेदन देने के बाद कलेक्टर ने जरूर भरोसा दिलाया है कि कार्यवाही होगी। इस भूमाफिया के अलावा इस तरह के अवैधानिक जमीन के कार्य को लेकर अनेक लोग सक्रिय हैं। खबरें भी प्रमुखता से प्रकाशित हो रही है। इसके बावजूद प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगना समझ से परे है। खासकर जिला बनने के बाद कृषि भूमि में अवैध प्लाटिंग की जांच किए जाने से इसका खुलासा हो सकेगा, कि पहले किसकी जमीन थी, भूमाफियाओं ने किन लोगों को कितने टुकड़ों में बेचा है। इसके सम्पूर्ण जांच से ही मामले का पटाक्षेप होगा। नियम कानून को दरकिनार रखकर जमीन पर अवैध प्लाटिंग किए जा रहे हैं।


मुख्यालय के नजदीक ही अवैध प्लाटिंग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इससे आशंका बनी है कि बिना प्रशासन के संरक्षण से यह कार्य सम्भव नही है या फिर भूमाफियाओं के साथ प्रशासन की जबरदस्त सेटिंग हो गई है। तभी तो बेख़ौफ़ होकर ऐसे कार्य किए जा रहे हैं।वैसे तो यहां के सब कार्यों में पैनी नजर प्रशासन की है, इस मामले में बेरुखी क्यों? वर्तमान में अनुविभागीय अधिकारी प्रशासन अतिक्रमण अभियान को लेकर लगातार कार्यवाही को अंजाम दे रहा है किंतु इस अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार लोगों को है।
“सुर्खियों में अवैध प्लाटिंग का धंधा”
-जानकारी तो प्रशासन को है, जमीन के अवैध प्लाटिंग धड़ल्ले से हो रहे हैं।अवैध प्लाटिंग का मामला सुर्खियों में है, जिन जमीनों पर धान की फसल लहलहा थी, ऐसे जमीनों में अब कंक्रीट की फसल लग रही है, नियम को दरकिनार कर अवैध प्लाटिंग किए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। अवैध प्लाटिंग का धंधा जोरों पर है, एक तरह से यह कार्य थमने का नाम नहीं ले रहा है, भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है की प्रशासन तक की भी परवाह नहीं कर रहे हैं, सारे नियम कानून को ताक में रखकर अवैधानिक तरीके से अवैध प्लाटिंग हो रही है, इस अवैध प्लाटिंग की बकायदा आसानी से रजिस्ट्री भी हो जाती है, कृषि भूमि को कई टुकड़े में बांटकर अनेक रजिस्ट्री तक हो चुकी है। बिना पंजीयन के आवासीस कॉलोनी बनाई जा रही है, नियम विरुद्ध कार्य को लेकर कायदे से देखा जाए तो प्रशासन को सजग रहना चाहिए, परंतु प्रशासनिक कार्यवाही कहीं नजर नहीं आ रही है। धड़ल्ले से कारोबार चल रहा है, जिसे देखने से पता चलता है कि पूरा सिस्टम अवैध प्लाटिंग के कारोबार करने वालों के साथ जुड़ गया है।जिला मुख्यालय के नजदीक यह हो रहा है, बड़े अफसरों को भी फुर्सत नहीं है कि आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा कर सके और उसकी जानकारी लेकर ऐसे कारोबार में रोक लगाने की दिशा में कार्य करें। कॉलोनाइजर एक्ट का भी उल्लंघन भूमाफिया कर रहे हैं, जिला बनने के बाद भू माफियाओं की नजर यहां के ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ी और बड़े पैमाने पर कृषि जमीन खरीदी गई, अब उन्हें टुकड़े टुकड़े में बेचने भू माफियाओं सक्रिय है। इस मामले में प्रशासन निष्क्रिय क्यों है, क्या नियम कानून सिर्फ गरीबों के लिए है? इस अवैधानिक कार्य को लेकर प्रशासन रोक लगाएगी, फिर हाल भू माफियाओं की चांदी है।
” कार्यवाही क्यों नहीं”
इस मामले में लगातार कार्यवाही की मांग की जा रही है 1 वर्ष के भीतर अनेक बार शिकायतें की गई है, लेकिन जानकर ताज्जुब होगा कि प्रशासन अब तक कोई भी कार्यवाही नहीं कर पाया है, इससे रसूखदार के पहुंच का अंदाज लगाया जा सकता है, अवैध प्लाटिंग करने वालों के विरुद्ध प्रशासन का लचीलापन रवैया आखिर क्यों है। यहां का प्रशासन त्वरित कार्यवाही करने में हिला हवाला का रवैया क्यों अपनाए हुए हैं।