नई दिल्ली। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम की एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजीएम) अदालत ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा दायर मानहानि मामले के संबंध में शनिवार को समन जारी कर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को दो मई से पहले पेश होने के लिए आदेश दिया है। कांग्रेस नेता के वकील ने मीडिया को बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने थरूर की मामले पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्री को दो मई से पहले अदालत के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है। दिसंबर 2018 में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के संदर्भ में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद कांग्रेस नेता ने उन पर मानहानि का मामला दायर किया था। इससे पहले थरूर ने उन्हें ‘हत्या का आरोपी’ कहने पर कानूनी नोटिस भेजकर बिना शर्त माफी मांगने को कहा था।
कांग्रेस नेता ने कहा था कि पुष्कर मामले की जांच पूरी हो चुकी है और दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट भी पेश कर दी गई। इसमें उन पर आइपीसी की धारा 308 तथा 498ए के तहत आरोप लगाए गए हैं। थरूर ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि पुष्कर की मौत हत्या थी। तिरुवनंतपुरम सांसद थरूर ने कहा है कि 28 अक्टूबर को सुबह 5.38 बजे प्रसाद ने ट्विटर पर दो मिनट 18 सेकंड की उनके प्रेस कांफ्रेंस की एक वीडियो क्लिप जारी की थी जिसमें झूठे, दुर्भावनापूर्ण तथा बहुत ही अपमानजनक बयान थे। थरूर ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री ने यह वीडियो उन्हें बदनाम करने के लिए पोस्ट किया था, जिसमें उनके खिलाफ झूठे तथा अपमानजनक आरोप लगाए गए कि वह हत्या के एक मामले में आरोपित हैं और उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर हुए हैं। थरूर के मुताबिक, जनता के बीच उनकी छवि को धूमिल करने के लिए ऐसे झूठे बयानों को चलाया गया