गरियाबंद प्रजापिता ब्रम्हाकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र में हल्दी कुमकुम कार्यक्रम में रखा गया जिसमें नगर के सभी माता और बहन सेकड़ो की संख्या में उपस्थित रही। जिसमे नगर से आये बहन पूर्व नगर पालिका अध्य्क्ष मिलेश्वरी बहन, सुनीता (गायत्री परिवार अध्य्क्ष) ,दीपिका बहन धरोहर संदेश पत्रकार एवं गीता गुप्ता (गृहणी) उपस्थित रही

जिसमे बी.के बिंदु बहन जी फैशन, व्यशन(नशा),सिनेमा,बुरा संग ये चार दोष बातये है। जिसे हम अपने अंदर कड़े संस्कारों को व बुरी आदतों को हटाने का दृढ़ संकल्प करते हैं और सबके साथ स्नेह युक्त, सकारात्मक व्यवहार करने का दृढ़ संकल्प करते हैं तो हमारा जीवन श्रेष्ठता की ओर आगे बढ़ता है ।

हमारा परिवार श्रेष्ठ संस्कारों से संपन्न होने लगता है और हमारे भीतर स्वयं के प्रति सम्मान जागृत होता है क्योंकि हमने स्वयं को बेहतर बनाने का चुनाव किया आपने राजयोग द्वारा परमात्मा से जुड़ने की विधि बताई आपने बताया खुशी परमात्मा का दिया हुआ वरदान है जिसे स्वयं उत्पन्न करना होता है राज योग के अभ्यास द्वारा जब हम अपने मन रूपी पतंग की डोर परमपिता परमात्मा को सौंप देते हैं तो हमारा जीवन ऊपर उठने लगता है और हम हल्के रहकर अपने सारे कार्य करते हैं। विशेष रूप से हल्दी कुमकुम का महत्व समझाते हुए हुए बताया कि हल्दी व कुमकुम रूप सुहाग की रक्षा व धार्मिक आयोजन में उपयोग की जाती है और यह दैहिक और मानसिक दोनों प्रकार से महत्व रखती है।

जिसमे बताया पहले महिलाओं को बाहर जाने की अनुमति नहीं थी तब ऐसे आयोजन किए जाते थे ताकि महिलाओं में शिक्षा की जागृति हो पाए। बड़ी बात यह है कि आज भी हम यह त्यौहार मना रहे हैं हम देख रहे हैं। आज एक और महिला आधुनिकता की अंधी दौड़ में जा रही है वहीं दूसरी ओर आज भी बहुसंख्यक महिलाएं अंधविश्वास और कुरीतियों के चक्र में फांसी हुई है इसका मूल कारण शिक्षा का अभाव और वैचारिक संकीर्णता है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से महिलाओं में समानता के महत्व को स्पष्टकर उन्हें मानसिक स्तर पर सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
