लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे से छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कद संगठन में और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री होने के नाते भूपेश बघेल पर प्रदेश की जिम्मेदारी थी, इसलिए मंत्री सिंहदेव को ओडिशा और झारखंड का जिम्मा दिया गया था। ऐसे में इन तीनों राज्यों के परिणाम पर बघेल और सिंहदेव का कद टिका हुआ है। बहरहाल, केंद्र में नई सरकार बनने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस संगठन में बदलाव की संभावना है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो राष्ट्रीय संगठन में अभी जिन नेताओं को पद मिले हैं, उनका परफॉर्मेंस राज्यों के आधार पर देखा जाएगा। उसी आधार पर उनके पद पर बने रहने या हटाए जाने का फैसला होगा। वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रभारियों और अध्यक्षों के परफॉर्मेंस की भी समीक्षा की जाएगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने यहां 15 साल बाद सरकार बनाई है। उनके प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। यही वजह रही कि प्रदेश की सत्ता और संगठन के सर्वोच्च पद पर रहते हुए भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव भी लड़ा। हाईकमान ने चुनाव समिति से लेकर चुनाव अभियान तक की जिम्मेदारी दे रखी थी। इस तरह चुनाव की रणनीति बनाने से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक में बघेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अब हाईकमान की नजर छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम पर टिकी है। हालांकि बघेल तो सभी 11 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन हाईकमान 8 से 10 सीट ही मानकर चल रही है। छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की पूरी संभावना है, इसलिए ऐसा अनुमान है कि बघेल को राष्ट्रीय संगठन में शायद जगह मिल जाए। इधर, दो राज्यों में चुनाव की जिम्मेदारी संभाले सिंहदेव भी कह चुके हैं कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 7 से कम सीट आई, तो हार मानी जाएगी। वहीं सिंहदेव ओडिशा और झारखंड को लेकर कोई दावा नहीं कर रहे हैं। बता दें कि ओडिशा और झारखंड में कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है, अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस का खाता खुलता है, तो वो सिंहदेव के लिए फायदेमंद होगा।