मौसम कोई भी हो, स्वास्थ्य को लेकर सहज रहना जरूरी होता है। पपीता इस काम में हमारा काफी सहयोग कर सकता है। यह ऊपरी ही नहीं, अंदरूनी तौर पर भी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है। पपीते की खूबियों और इस्तेमाल के तरीकों के बारे में जानकारी दे रही हैं नीतिका श्रीवास्तव आयुर्वेदिक नजरिये से देखा जाए, तो पपीता एक खास फल है। इसका सेवन ना सिर्फ शरीर के अंदर खून को शुद्ध करता है, बल्कि पेट से लेकर त्वचा और बालों के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। खूबियों से भरा पपीता सही मायनों में अच्छे स्वास्थ्य और बेहिसाब आयुर्वेदिक गुणों का खजाना है। पपीता विटामिन सी से भरपूर होता है। पके पपीते में मौजूद एंटी-आॅक्सिडेंट और फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल और खून के थक्के बनने से रोकता है। कई बार कोलेस्ट्रॉल दिल का दौरा और रक्तचाप बढ़ाने समेत दिल से जुड़ी कई बीमारियों का कारण बनता है।
रोज के खाने में पपीते का इस्तेमाल आपको बड़ा फायदा पहुंचाएगा। इसमें बेहद कम कैलरी होती है, जो मोटापा घटाने में मदद करती है। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से आंतों की सेहत ठीक रहती है। शुगर के मरीजों के लिए पपीता एक बेहतरीन विकल्प है। स्वाद में मीठा होने के बावजूद इसमें शुगर की मात्रा बेहद कम होती है। पपीते में मौजूद विटामिन ए की मात्रा आंखों की रोशनी के लिए सबसे अच्छा विकल्प होता है। इसमें मौजूद विटामिन सी हड्डियों के लिए अच्छा होता है। यह आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाता है। पपीते के ज्यादा सेवन से किडनी में पथरी का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन सी की अधिक मात्रा सांस से जुड़ी परेशानी भी बढ़ा सकती है। इसके अधिक सेवन से अस्थमा और पीलिया की आशंका भी बढ़ती है। गर्भावस्था में भूलकर भी पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात होने की आशंका अधिक रहती है।
आयुर्वेद में हर चीज का सही समय तय होता है। कच्चे पपीते से महिलाओं में आॅक्सीटोसीन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। यह गर्भाशय में संकुचन लाता है और मासिक धर्म के समय दर्द भी कम होता है। जिन्हें शुगर की दिक्कत है, वे भी कच्चे पपीते का सेवन कर खून में शर्करा के स्तर को कम कर सकते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है। कच्चे पपीते में फाइबर भरपूर होता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह पेट से जुड़ी समस्याएं दूर करता है और शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर निकालता है।