छत्तीसगढ़ की 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद महज 36 फीसदी हिस्से में ही सिंचाई सुविधा होने के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि सिंचाई सुविधा के बगैर कृषि क्षेत्र में विकास एवं किसानों की खुशहाली की कल्पना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव सुनील कुजूर को सिंचाई के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पांच वर्षों के लिए विस्तृत कार्य योजना दो महीने में तैयार कर ली जाए, जिससे मानसून के पहले ही उसका क्रियान्वयन किया जा सके। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पर्यावरणीय चिंताओं, वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों और भू अर्जन में हो रही कठिनाईयों की वजह से देश में बड़े बांधों का निर्माण कठिन होता जा रहा है। मौजूदा परिस्थितियों में बारिश के पानी के संरक्षण और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के लिए सिंचाई परियोजनाओं का विकास ही व्यावहारिक विकल्प है। भूपेश बघेल ने कहा है कि बड़े-बड़े बांधों की बजाय बारिश के पानी के संरक्षण और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के लिए सूक्ष्म एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं का विकास को व्यावहारिक विकल्प है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि 5 वर्षों में राज्य के सिंचित क्षेत्र का रकबा दोगुना करने के लिए सरकार संकल्पित हैं। इसके लिए जल के सभी परंपरागत स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन, मनरेगा का अन्य योजनाओं के साथ कन्वजेन्स तथा आवश्यकतानुसार गैप फंडिंग का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के लिए आबंटित बजट का उपयोग लघु एवं सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के विकास में किया जाए। आपको बता दें कि राज्य में सिंचाई व्यवस्था के लिए कोई ठोस रणनीति और कार्ययोजना नहीं होने की वजह से किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई जिलों में नौबत यह भी आ जाती है कि किसान साल में सिर्फ एक बार ही फसल ले पाता है और सूखे की मार का गंभीर असर उसके परिवार के साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है।