रायगढ़ में हुई घटना को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया, अधिवक्ता संघ ने राजपाल के नाम ज्ञापन सौंपा

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गरियाबंद – रायगढ़ में अधिवक्ताओ और राजस्व अधिकारियो के बीच हुए विवाद की चिंगारी अब गरियाबंद जिले तक भी पहुॅच गई हैं। घटना के विरोध में मंगलवार को जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले जिले के अधिवक्ताओ ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और राज्यपाल के नाम अपर कलेक्टर जे आर चौरसिया को ज्ञापन सौंपकर दोषी राजस्व अधिकारी तहसीदार एवं उनके क्लर्क के विरूध्द दण्डनात्मक कानूनी कार्यवाही की मांग की। इसके साथ ही अधिवक्ताओ ने राजस्व अधिकारियो के न्यायालयीन क्षेत्राधिकार में भी परिवर्तन की मांग राज्यपाल से की।

इसके पहले मंगलवार को अधिवक्ताओ ने व्यवहार न्यायालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और रायगढ़ की घटना की निंदा करते हुए अधिवक्ताओ ने राजस्व अधिकारियो के विरूध्द राजस्व न्यायालय के कार्यो में भ्रष्ट्राचार करने का आरोप लगाते हुए उनके विरूध्द जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र देवांगन ने कहा कि राजस्व न्यायालय में खुलेआम भ्रष्ट्राचार चल रहा है। रायगढ़ तहसीदार और उनके क्लर्क ने रूपए लेने के बाद भी उसके विरूध्द में आदेश पारित किया और जब अधिवक्ताओ के द्वारा इसका विरोध किया गया तो राजस्व अधिकारियो ने उनके साथ दुर्व्यहार और मारपीट की। राजस्व न्यायालय को जो अधिकार दिए है उनका वे दुरूप्रयोग कर रहे है। यही स्थिति पूरे छत्तीसगढ़ के राजस्व न्यायालयो में है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ में स्टेट बार काउसिंल से संबंधित सभी संघ ने मिलकर मांग कि है कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में आवश्यक संशोधन करते हुए राजस्व अधिकारियों का न्यायालयीन प्रकरण से संबंधित क्षेत्राधिकार वापस लेकर उपरोक्त क्षेत्राधिकार पूर्व के व्यवस्था के अनुरूप व्यवहार न्यायालय को वापस दिया जावें। इसी तरह दण्ड प्रक्रिया दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 97, 98, 107, 116(3), 133, 145, 151 के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट का अधिकार वापस लेकर उसे भी न्यायिक मजिस्ट्रेट को दिया जावें। इसके बाद सभी अधिवक्ता रैली की शक्ल ने जिला कार्यालय पहुॅचे और यहां राज्यपाल के नाम अपनी तीन सुत्रीय मांगो को लेकर अपर कलेक्टर जे आर चौरसियो को ज्ञापन सौंपा।इस अवसर पर प्रमुख रूप से अधिवक्ता विनोद गुप्ता, मुर्तुजा खान, यूपी अवस्थी, अश्वनी तिवारी, मुकेश मिश्रा, प्रदीप लाम्बे, गौरीशंकर मिश्रा, शेख सिराज, दुष्यंत सिन्हा, हरिनारायण त्रिवेदी, बीआर देवांगन, गजानंद सिन्हा, एचआर दाऊ, राकेश चौहान, प्रशांत मानिकपुरी, फहद खान, एनएन खरे, रामेश्वर निर्मलकर, नोकेश साहू, हरीश साहू सहित अन्य अधिवक्ता मौजुद थे।