पूरे बंगाली समाज पहुंचे थाना शिकायत की दोषियों पर कार्यवाही मांग

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गरियाबंद जिला के सभी बंगाली समाज पहुंचे छुरा थाना समाज को बदनाम करने की मंशा में लगातर कई समाचारों में प्रकाशक किया गया है। बंगाली शब्दो का बार बार उच्चारण से पूरे बंग समाज दुःखी होकर पहुंचे थाना कार्यवाही


की मांग किया गया। मामला इस प्रकार से है कि विगत कुछ दिनों श्री संकल्प छत्तीसगढ़ मिशन हॉस्पिटल के विषय में एक पारदर्शी समाचार प्रकाशन किया गया था। जिसके उपरान्त छुरा के ही एक पोर्टल संचालक परमेश्वर साहू, 8319355422, अश्वनी सोनी महासमुद्र मो. 8827298555, मयंक गुप्ता महासमुद्र मो. 9826517734) द्वारा आदिवासी बहुमुल्य क्षेत्र में भ्रमित जानकारी दिया जा रहा था समाचारों के माध्यम से जिस पर धरोहर संदेश द्वारा समाचारों के माध्यम से श्री संकल्प हॉस्पिटल अभी वर्तमान में पंजीयन समाप्त हो चुका है। रेनिवाल के लिए अभी दिया गया है। परंतु अभी तक रेनिवाल नहीं हुआ है। प्रमुखता से सामाचार प्रकाशन करने के बाद आम जनता तक सच्चाई एवं सच समाचार प्रकाशन होने पर परमेश्वर साहू द्वारा फोन के माध्यम से बोला गया कि इस प्रकार से समाचार नर्सिंग होम का नहीं चलाएंगे चलने पर आपको देख लूंगा यह कहते हुए धमकी दिया गया । उसके पश्चात पोर्टल में महासमुद्र के साथीयो से मिलकर समाज को बदनाम करने के लिए प्रकाशन किया गया । जिससे समाज के व्यक्ति दुखी एवं प्रताड़ित हुऐ समाज को बदनाम करने की मंशा से प्रकाशन किया गया समाचार सोची समझी साजिश के तरह तहत किया गया था। आज पत्रकार ही स्वतंत्र पूर्वक समाचार नहीं चला सकते हैं। ऐसा लगता है की नर्सिंग होम संचालकों द्वारा कुछ गुंडे पाल रखे हैं। वह शाम दाम दंड भेद कर डरवाया धमकाया जाता है। नर्सिंग होम अपनी मनमर्जी छुरा में करते रहें। भोले भाले आम जनता को लूटने रहे परन्तु कोई भी पत्रकार सच ना दिखा सकें। सच को दबने का कार्य किया जा रहा है। नर्सिंग होम संचालकों द्वारा सच्चाई प्रकाशन करने से बदनाम करने के लिए समाज का भी सहारा लिया जाता है । इस प्रकार से आज नर्सिंग होम के बुलंद हौसले बरकरार होते जा रहा है। क्योंकि पत्रकार सच नहीं लिख सकते हैं पत्रकार अगर सच लिखते हैं तो उन्हें

मानहानि का नोटिस दिया जाता है। आवाज ना उठाओ नही तो नर्सिंग होम झूठा आरोप लगा कर कुछ भी कर सकते है। चौथा स्तंभ होने के बावजूद भी आप कुछ नहीं कर सकते। आंख बंद करके बैठो श्री संकल्प हॉस्पिटल के संचालक से व्यक्तिगत संबंध के चलते एक आरोप प्रकाशित किया गया जिसमें व्यक्ति के नाम के साथ बंगाली समाज का नाम जोड़कर समाज की छवि lको धूमिल किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
समाचार प्रकाशन करना एक स्वतंत्र पत्रकार की पारदर्शी विचारधारा होता है आरोप प्रत्यारोप व्यक्तिगत किये जा सकते है परंतु नाम के पहले सामाजिक या जाति जोड़कर उसको बदनाम नही किया जा सकता। समाज का नाम संलग्न कर प्रकाशित करना (अत्याचार निवारण अधिनियम 1989, अधिनियम के तहत) अपराध की श्रेणी में आता है। इस घटना के उपरांत बंगाली समाज गरियाबंद को बहुत दुःख (ठेस) पहुँचा है।


उचित कार्यवाही नहीं होने पर उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अध्यक्ष प्रदीप बारई, उपाध्यक्ष मनोज चक्रवर्ती, सचिव राज डे, संरक्षण संदीप सरकार,अजय मंडल, कोषाध्यक्ष,विकास विस्वास, प्रशांत विस्वास, असीम समाजदार, आशिष विश्वास,
दशरथ ठाकुर, पलास विस्वास, संजय विस्वास, चंदन विस्वास, परिमल जयधर , समरजीत विस्वास, रिपन ठाकुर,
सुव्रत बल, शेखर विश्वास,
दीपिका बारई, प्रभाती दास
रानी मंडल, शक्ति विस्वास, संजय विस्वास, हिरणमय आधिकारी,