बिना पंजीयन के नर्सिंग होम संचालित केवल आयुष्मान कार्ड के सहारे नर्सिंग होम

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गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में आयुष्यमान योजना में लूट सुर्खियों में है।
कई गांव में कैंप लगाए जाते हैं कैंप का अर्थ यह है कि आयुष्मान कार्ड में जिस प्रकार से गोरख धंधा चल रहा है। केवल कैंप लगाकर

बीपी शुगर टेस्ट किया जाता है और कहा जाता है कि हॉस्पिटल आओ इतना ही नहीं सूचना तंत्र के अनुसार जानकारी प्राप्त हुई है कि नर्सिंग होम द्वारा गांव-गांव में पहुंचकर अपने गाड़ी में गांव वाले को लाकर दो दिन एडमिट करके उनके आयुष्मान कार्ड से पेमेंट निकला जा रहा है । गांव वाले को कुछ रुपए देकर आयुष्मान कार्ड की जिस प्रकार से मनमानी तरीके से एमाउंट निकाला जा रहा है । नर्सिंग होम गांव वाले को केवल दारू, मुर्गा और रोजी मिल जाने से उन्हें कोई टेंशन नहीं है कि उनके खाते में से कितना रुपए निकाल लिया गया है। गांव वाले को इनसे उनका किसी प्रकार से वास्ता ही नहीं है। केवल उन्हें रोजी मिल जाए है। नर्सिंग होम द्वारा गाड़ी लाने जाते हैं और छोड़ने जाते हैं और इस प्रकार सकरी दलाल होने के साथ-साथ दलालों द्वारा यह सब कार्य किया जा रहा है। मरीजों को भेजा जाता है। और उन्हीं के बीच के व्यक्तियों को जिस प्रकार से धोखा देकर आयुष्मान कार्ड से राशि निकल निकल जा रही है इस पर अंकुश लगना चाहिए। ऐसे कई नर्सिंग होम के शिकायत होने के बावजूद भी आज भी नर्सिंग होम संचालित है। फल फूल रहे हैं जिला मुख्यालय से लेते हुए सभी ऐसे नर्सिंग होम है विभागीय संरक्षण होने के कारण प्रशासन मौन है। खुलेआम भ्रष्टाचार चल रहा है इस पर किसी प्रकार से कार्यवाही नहीं है।
लूट की होड़ भी छोटी मोटी नही है, बताया जा रहा है कि प्रदेश में इसका बजट करीब 800 करोड़ का था और हॉस्पिटल सिंडिकेट ने 2200 करोड़ का क्लेम कर दिया है। पिछली सरकार में ये सुनियोजित षड्यंत्र इतना फलीभूत रहा कि छोटे छोटे गांव कस्बों में भी बड़े बड़े अस्पताल खुल गये। मजे की बात ये है कि इन अस्पतालों में भले ही एक अदद डॉक्टर ना हो किन्तु बड़ी बड़ी बीमारियों के ईलाज का दावा बड़ी आसानी से होता रहा है। गरियाबंद जिले में ही देवभोग से लेकर राजिम तक निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कुकुरमुत्ते की तरह उग आये हैं। जिले के छुरा क्षेत्र में इनकी संख्या अधिक है। रुपयों की लूट के लिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी माफ़िया राज सक्रिय होने की स्थिति आ गई है। छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार में तो जैसे आयुष्यमान कार्ड में लूट सके तो लूट वरना समय जायेगा छूट की स्थिति हो गई थी। फिलहाल गांव कस्बों में बड़ी संख्या में बड़े बड़े अस्पताल या नर्सिंग होम खोल दिये गये है ,हालात ये है कि ईन अस्पतालों में कोई डॉक्टर नही होता, कोई भी मैनेजमेंट वाला या कोई मेडिकल स्टोर संचालक हॉस्पिटल खोल देता है और उसे मल्टी स्पेशलिटी या सुपर स्पेशलिटी बताता है। कहा जाता है कि इन अस्पतालों में विभिन्न दलालों के माध्यम से मरीजों की भर्ती की जाती है। कई बार स्वास्थ्य व्यक्तियों को भी कुछ लालच, खाना पीना व रोजी पानी के नाम पर कुछ पैसा देकर भर्ती कराया जाता है। फिर किसी गंभीर बीमारी के ईलाज तथा दवाओं के नाम पर अस्पताल व मेडिकल बिल का क्लेम कर दिया जाता है। सामान्य व्यक्तियों को तब तक आयुष्मान कार्ड से आहरण की जानकारी नहीं हो पाती जब तक वो इसे चेक नही करवाता, वैसे भी ये कार्ड मुफ्त मिला होता है, इसीलिये इसकी परवाह कम की जाती है। किंतु एन वक्त पर तब इसकी अहमियत समझ आती है जब वास्तव में इसकी जरूरत पड़ती है।
क्या है आयुष्यमान भारत योजना
देश के गरीब और वंचित तबके को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाये उपलब्ध कराने के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में आयुष्‍मान भारत योजना की शुरूवात की थी। आयुष्मान भारत कार्ड नागरिकों को सूचीबद्ध अस्पतालों में 5 लाख रु. तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठाने का अधिकार देता है। नागरिकों को अपने इस अधिकार के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस योजना के सही क्रियान्वयन की दिशा में अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से पालन करने की आवश्यकता है।
बिना पंजीयन के नर्सिंग होम और गांव में दलाल जिस प्रकार से बैठे हैं
ना मरीजों के साथ और ना आपके स्वास्थ्य के लिये , ये अस्पताल खड़े हैं आयुष्यमान कार्ड के लिये