गरियाबंद – भाजपा शासन काल में दो दो मंत्री के निज सहायक रह चुके जिले के पशु चिकित्सा के विभाग के एक क्लास टू अफसर की कांग्रेस शासन काल में भी काफी पुछ परख है। लोगो को सरकारी काम दिलाने के नाम पर बेवकुफ बनाने वाले इस अफसर को कांग्रेस शासन में पशु चिकित्सा विभाग से हटकर जिला परियोजना अधिकारी के पद पर संलग्न कर क्लास वन के अफसर जैसी सुविधाए प्रदान की गई हैं। जिला पंचायत में इसके संलग्न होने के बाद से जिले के हर विभाग के अफसर परेशान है। कारण कि उन्हें अपने काम के लिए कलेक्टर और सीईओ के पहले इस अफसर से होकर गुजरना पड़ता है।
इसके अलावा गरियाबंद से लेकर रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव सहित कई जिले के लोग ठेकेदारी और सप्लाई संबंधी काम मिलने के झांसे में आकर इसके कार्यालय के चक्कर काटने मजबूर है कारण कि काम मिलने ले लालच मे अपने पैसे फंसा चुके है। बताया जाता है कि यह अफसर बिते 15 सालो में अपने मूल विभाग के कार्य को करने के बजाय मंत्री विधायक कलेक्टर की चाटुकारिता कर कभी निज सहायक बन जाता है तो कभी किसी अन्य विभाग में संलग्न हो जाता है। यह अफसर अपने मूल कार्य जहां इसकी नियुक्ति है उसे करने मे ना कोई रूचि रखता है और ना ही उसपर ध्यान देता है।
जिले के सभी प्रमुख अधिकारी परेशान
प्रशासनिक सुत्रो के मुताबिक जिले के सभी अधिकारी इससे परेषान है। कई ऐसे विभाग है जिसका काम सीधे जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर से होता है परंतु उनकी फाइले सीधे अफसरो तक पहुंचने के पहले इस अफसर तक पहुचती है, यह अफसर ही उस फाइल के संबंध में हर फैसला करता है जिससे चलते विभागीय अधिकारी परेशान है। उनका कहना है कि जबर्दस्ती इस अफसर को उन पर थोपा गया है इसके कार्यप्रणाली से संतुष्ट नही है। नियम विरूध्द उसे परियोजना अधिकारी बनाया गया है और अनर्गल दबाव बनाकर उसका विरोध भी नही करने दिया जा रहा है।
विशेष आर्थिक अभियान का जिम्मा
नाम ना बताने की शर्त पर कई प्रशासनिक सुत्रो ने बताया कि इस अफसर को नियम विरुद्ध जिला परियोजना अधिकारी बनाया गया है। ये अफसर पशु चिकित्सा विभाग में सहायक पशु शल्यज्ञ अधिकारी के पद पर है। जिसका काम मवेशियों का इलाज करना है परंतु पूर्व कलेक्टर ने इसे विभागीय अधिकारियो और सरकारी फाइलो के इलाज का जिम्मा दे दिया है। वैसे तो यह अफसर वर्ग दो श्रेणी का है फिर भी इस पर मेहरबानी करते हुए जिला परियोजना अधिकारी के पद पर इसकी ताजपोशी की गई है। जिसे लेकर जिला प्रशासन के भीतरी खानो मे जमकर कोहराम मचा है। हर विभाग के अधिकारी कर्मचारी इसके संलग्निकरण को दबे जुबान गलत बताकर इसे हटाने की मांग कर रहे है।