काव्य भारती के संस्थापक प्रख्यात रंगकर्मी मनीष दत्त जी का निधन, मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक ने दी श्रद्धांजलि

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बिलासपुर। देश के शीर्षस्थ रंगकर्मी, कला मनीषी एवं काव्य भारती कला संगीत मंडल के संस्थापक मनीष दत्त का कल देर रात 79 वर्ष की आयु में हिर्दयाघात से निधन हो गया।
मालूम हो कि काव्य संगीत उनकी मौलिक अवधारणा थी। उन्होंने करीब 2000 साहित्यिक गीतों की संगीत एवं नाट्य रचना की थी। उनके शिष्य देश विदेशों में इनकी कला को प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने न केवल देश के ख्यातिलब्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, बालकृष्ण शर्मा नवीन, माखन लाल चतुर्वेदी, गोपाल दास नीरज, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, श्रीकृष्ण सरल, रामकुमार वर्मा, बालकवि बैरागी, शिवमंगल सिंह सुमन, रामधारी सिंह दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, हरिवंश राय बच्चन के कवियों को बल्कि छत्तीसगढ़ के श्रीकांत वर्मा, सरयू त्रिपाठी मधुकर, राम प्रताप सिंह विमल, कन्हाई घोष, सियाराम सक्सेना प्रवर की रचनाओं को अपने काव्य संगीत के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम किया।
उन्होंने सादगी के साथ जीवन-यापन किया और हमेशा सरकारी सहायता की उपेक्षा की। वे जन- सहयोग से काव्य भारती का संचालन किया करते थे।
उन्होंने नेहरू जन्म शताब्दी के अवसर पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का सबसे पहला एल पी रिकॉर्ड अमर बेला तैयार किया था। इसके अलावा भजनम् मधुरम और दुर्गा सप्तशती, मेघदूत देशभर के आकाशवाणी केन्द्रों में प्रसारित किये जाते हैं।
इनकी प्रस्तुतियों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में में सराहा गया। इनकी संगीत संरचना एवं मंचीय प्रतिभा देखकर स्वयं कविगण भी अचंभित थे। 70 के दशक में मनीष दत्त, महादेवी वर्मा से मिलने गये और उन्होंने उनके गीतों को संगीतबद्ध करने की अनुमति मांगी। वर्मा ने कहा कि मेरे गीत आध्यात्मिक स्तर के हैं, क्या आप संगीत बद्ध करके इन गीतों के साथ न्याय कर पायेंगे? दत्त ने कहा कि जब रवीन्द्र नाथ टैगोर के इसी स्तर के गीतों की जन-सामान्य के लिए संगीत रचना की जा सकती है, तो आपके गीतों की क्यों नहीं। इसी के बाद इलाहाबाद से बिलासपुर लौटकर उन्होंने काव्य भारती की स्थापना की और बीते 50 वर्षों मंल अनेकानेक कवियों की रचनाओं को तैयार किया। उनके तैयार किये गये सैकड़ों कलाकार आज देश-विदेश में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं।
दत्त ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का पहला एल पी रिकॉर्ड तैयार किया था, जो नेहरु जन्म शताब्दी पर केंद्रित था। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन कला को समर्पित कर दिया था, इसीलिये उन्होने विवाह भी नहीं किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बिलासपुर सांसद अरूण साव, विधायक शैलेष पांडेय, पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश बाजपेयी, प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव, हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस चंद्रभूषण बाजपेयी व शहर के अनेक लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कारधानी बिलासपुर के लिए यह अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।
काव्य भारती के नेहरू नगर स्थित निवास से उनके शिष्यों ने उनके तैयार गीतों को गाकर उन्हें अंतिम विदाई दी।