रायपुर। रविवार को सुंदर नगर में चल रही भागवत कथा में महंत व कथा व्यास गोपालशरण देवाचार्य ने बताया कि भगवान की प्राप्ति दुर्लभ है लेकिन उससे भी दुर्लभ जीवन में गुरु का मिल जाना है। जीवन में अगर गुरु की प्राप्ति हो गई तो फिर संसार से विरक्ति निश्चित हो जाएगी। नित दिन पतन की ओर बढ़ते इस संसार के बार-बार जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति चाहिए, तो भगवान श्रीकृष्ण ही उसका एकमात्र सहारा हैं। इसलिए अगर हमें जन्म बंधन से मुक्ति पाकर परमसुख को प्राप्त करना है तो भगवान की शरण में जाना ही होगा। कथा में भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए कथा व्यास गोपालशरण देवाचार्य ने बताया कि श्रीकृष्ण परिपूर्णतम अवतार हैं। उनकी लीलाएं ऐश्वर्य और माधुर्य से युक्त हैं। भक्तों का कल्याण करने के लिए भगवान विविध रूप धारण करते हैं। तभी तो भागवत महापुराण में भगवान श्रीकृष्ण के बाइस अवतारों का वर्णन किया गया है। श्रीमद् भागवत श्रवणीय ग्रंथ है। अगर मनुष्य भागवत की कथा श्रवण करें तो निश्चित ही उसका मन भगवान श्रीकृष्ण में लग जाएगा। संसार को पाप के कीचड़ से निकालने के लिए भगवान ने स्वयं वराह अवतार लिया। आगे बताते हुए गोपाल शरण देव जी ने बताया कि मनुष्य को अपना चेहरा देखने के लिए जिस तरह दर्पण की जरूरत होती है उसी तरह आत्मा को देखने मन रूपी दर्पण की जरूरत होती है। भक्ति में ही वह शक्ति है जो प्रभु को अवतार लेने पर मजबूर कर देती है। भागवत कथा सुनना भी एक प्रकार का तप है जो भागवत कथा सुनते हैं उनके कष्ट अवश्य दूर होते हैं। आचार्य मनीष शरणदेव व वृंदावन से आए पंडितों ने यहां कथा से पहले पूजा-अर्चना की। इसके बाद श्रीमद् भागवत को विधि-विधान से व्यास गद्दी पर विराजित किया। इस दौरान पं. श्याम शरणदेव, बृजेंद्र शरणदेव, गोविंद झा, अवधेश शरणदेव, गोपेश शरणदेव आदि मौजूद रहे।