बिलासपुर:-मूक बधिर बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है। उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले के भिलाई में सन् 2015 में साढे 5 साल की मूक बधिर बच्ची के अपहरण के बाद उसके साथ दुष्कर्म करके आरोपियों ने बच्ची की हत्या कर दी थी। मामले में आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की न्यायपीठ ने दुर्ग डीजे कोर्ट की ओर से आरोपी को दी गई फांसी की सजा और सहायक आरोपियों की सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया है। शासकीय अधिवक्ता फैजीया मिर्जा के अनुसार भिलाई में 25 फरवरी 2015 को साढ़े 5 साल की मूक बधिर बच्ची को भिलाई निवासी राम सोना उठाकर अपने घर ले गया। उसका मित्र अमृत सिंह टीवी देख रहा था। राम सोना ने बच्ची का दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। बच्ची की लाश को बोरी में भरते समय छोटे भाई दीपक ने देख लिया था। राम सोना ने दीपक को घटना का जिक्र दूसरे से नहीं करने की धमकी दी थी।
बच्ची की लाश को राम सोना, अमृत और राम सोना की मां कुंती सोना ने नाले में फेंक दिया था। मामले में पुलिस ने शक के आधार पर अमृत सोना और कुंती सोना को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। दोनों ने घटना का खुलासा किया था। आरोपी राम सोना, अमृत और कुंती के खिलाफ अपराध दर्ज करने के बाद पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया था। मामले में दुर्ग डीजे कोर्ट ने 24 अगस्त 2018 को ग्राम सोना को फांसी की सजा व कुंती व अमृत को साथ देने पर अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई थी। दुर्ग डीजे कोर्ट के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत मिश्रा व गौतम चौरडिया की डबल बेंच में अपील खारिज करते हुए निचली अदालत का फैसला यथावत रखते हुए मुख्य आरोपी राम सोना को फांसी की सजा और आरोपियों को दी गई सजा यथावत रखने का आदेश जारी किया है।