गुजरात: गुजरात में एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा गरमा रहा है। राजधानी गांधीनगर में पिछले दो महीने से लोकरक्षक दल की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर मालधारी और कोली समुदाय के लोग आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार आदिवासी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रबारी, भरवाड़ और चारण समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में से बाहर निकालने की मांग की है।
प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला दाहोद के भाजपा के सांसद जशवंत सिंह भाभोर, बारडोली के सांसद प्रभुभाई वसावा, छोटाउयपुर के सांसद गीताबेन राठवा और भरुच के सांसद मनसुखभाई वसावा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि भारत सरकार द्वारा 19 अक्टूबर, 1965 के दिन जारी अधिसूचना में केवल जंगल क्षेत्र में रहते रबारी, भरवाड़ और चारण समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था। उनके मुताबिक, उस समय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े वर्ग में किसी भी समुदाय या जाति की घोषणा नहीं की गई थी।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि गुजरात राज्य में 28 अगस्त, 1972 से बख्शी आयोग की नियुक्ति की गई। इस आयोग की सिफारिशों के बाद एक अप्रैल, 1978 से सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ी जातियों में रबारी, भरवाड और चारण समुदाय का समावेश किया गया है। इन तीन समुदायों का आपसी में संबंध है। आदिवासी समुदाय के साथ रबारी, भरवाड़ और चारण समुदाय के बीच अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के लिए संघर्ष हो रहा है। अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्र के लिए आदिवासियों से अन्याय किया जा रहा है। भारत सरकार को सभी तरीके से पिछडे आदिवासी समुदाय की तरफ ध्यान देना चाहिए। सांसदों ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि रबारी, भरवाड़ और चारण समुदायक लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची में दूर करना चाहिए।