रायपुर- छात्रावासों और दाल भात सेंटर के लिए अनाज बंद करने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य को मिलने वाले मिट्टी तेल के कोटे में कटौती कर दी हैं। गरीबों के घर चूल्हा जलाने वाले मिट्टी के तेल में 38 फीसदी की कटौती की गई हैं, पहली तिमाही में 28 हजार 764 किलोलीटर आबंटन किया गया था, जबकि दूसरी तिमाही के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने 17 हजार 880 किलोलीटर आबंटन तय किया हैं। यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाए जाने की मांग की थी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, उन्होंने चिट्ठी में कहा था कि उज्जवला योजना के तहत वितरित कनेक्शनों की संख्या में बढ़ोतरी के आधार पर साल 2018-19 के लिए मिट्टी तेल का आबंटन 1.15 लाख किलोलीटर कर दिया गया है, जबकि साल 2015-16 में यह 1.72 लाख किलोलीटर था।
इसकी वजह है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को सिलेंडर की पूरी कीमत जो राज्य में 773 रूपए है, उस पर खरीदना पड़ता हैं, जबकि सब्सिडी की राशि जो 270 रूपए है, वह बाद में हितग्राही के खाते में आती हैं। गरीब परिवार एकमुश्त यह राशि नहीं दे पाता, भूपेश बघेल की चिट्ठी के बाद भी केंद्र सरकार ने राज्य के हिस्से आने वाले मिट्टी तेल में भारी कटौती कर दी हैं। इस कटौती का असर राज्य की गरीब जनता पर प्रत्यक्ष तौर पर पड़ने वाला हैं।