पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न हुए और राज्य में हर चरण में हिंसा की घटनाएं देखने को मिली। हालांकि चुनावों के दौरान टीएमसी और बीजेपी हिंसक घटनाओं के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती रही। लेकिन अब दोनों पार्टियां अब हर जिले में एक दूसरे के पार्टी आॅफिस पर कब्जा और दोबारा कब्जा कर रही हैं। 30 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी क्षेत्र का दौरा किया और टीएमसी के एक कार्यालय को पुन: प्राप्त किया, जिस पर बीजेपी का प्रतीक और पार्टी का नाम लिखा था। टीएमसी सुप्रीमो ममता ने उस आॅफिस की भगवा दीवारों पर काले रंग से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस लिखा और पार्टी के प्रतीक बनाया। जिस इमारत पर ममता ने अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न बनाया, वह कथित रूप से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के समर्थकों द्वारा कब्जा कर लिया गया था, जो दिनेश त्रिवेदी को हराने के बाद बैरकपुर से जीते थे। इस दौरे के दौरान, ममता ने यहां अपने काफिले के पास जय श्री राम के नारे लगाते हुए लोगों को फटकार लगाई थी और कहा था कि नारे लगाने वाले सभी बाहरी लोग है और भाजपा के लोग है। उन्होंने कहा कि वे सभी अपराधी थे और मुझे गाली दे रहे थे। वे बंगाल से नहीं हैं। इसके बाद बीजेपी ने यह घोषणा की है कि वह जय श्री राम लिखे हुए 10 लाख पोस्टकार्ड ममता बनर्जी को भेजेंगे। एएनआई के अनुसार, कथित तौर पर बंगाल में ब्लॉक और ग्राम स्तर पर कई टीएमसी कार्यालयों को भाजपा के रंग में रंग दिया गया था, क्योंकि पार्टी ने पश्चिम बंगाल में राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटें जीतकर टीएमसी की जीत को सीमित कर दिया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में 34 सीटें जीतने वाली टीएमसी को इस लोकसभा चुनाव में केवल 22 सीटों पर जीत हासिल हुई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि टीएमसी कार्यकतार्ओं से संबंधित कई संपत्तियों को भाजपा इकाइयों में परिवर्तित किया जा रहा था क्योंकि इन स्थानों के मालिकों ने भाजपा में शामिल होने के लिए पक्ष बदल दिया था। 28 मई को मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय सहित टीएमसी के दो विधायक और 63 पार्षद दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गए। सुभ्रांशु और तुषार कांति भट्टाचार्य के साथ, माकपा विधायक हेमताबाद देवेंद्र रॉय भी पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए।इस बीच, रविवार को एक ब्लॉग पोस्ट में ममता ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि उसके कुछ कार्यकर्ता और समर्थक नफरत की विचारधारा को फैलाने के लिए मीडिया के एक हिस्से का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज और फेसबुक अकाउंट की प्रोफाइल तस्वीर भी बदल दी।