नई दिल्ली। अगर किसी होम बायर्स ने पिछले वित्त वर्ष में बुक कराए गए फ्लैट को कैंसल कराया है तो बिल्डर को उस फ्लैट पर लिए गए जीएसटी भुगतान का रिफंड करना होगा। बिल्डर्स को ऐसे रिफंड के बदले में क्रेडिट समायोजन की सुविधा मिलेगी। आयकर विभाग ने यह स्पष्टीकरण दिया है। गौरतलब है कि केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से रियल एस्टेट क्षेत्र पर जारी आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब के संबंध में यह स्पष्टीकरण दिया है। बदलावों के तहत बिल्डरों को अब सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर 1 फीसद व अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों पर 5 फीसद की दर से जीएसटी लगाने की अनुमति दी गई है। माइग्रेशन प्रोविजन पर स्पष्टता जाहिर करने के लिए एक एफएक्यू जारी किया गया है जो कि रियल एस्टेट खिलाड़ियों को अप्रैल से इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ के बिना आवासीय परियोजनाओं पर एक फीसद और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों पर पांच फीसद की दर से जीएसटी लगाने की अनुमति दी गई है। यह नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2019 से लागू की जा चुकी है। वहीं पुरानी व्यवस्था में सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए आठ फीसद और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों के लिए 12 फीसद की दर से जीएसटी लगाने का प्रावधान है। इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ भी बिल्डर उठा सकते हैं, जबकि नई व्यवस्था में दरें घटा दी गईं हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा को समाप्त कर दिया गया है। वहीं जारी परियोजनाओं के लिए, बिल्डरों को या तो 12 फीसद की जीएसटी स्लैब आईटीसी (किफायती आवास के लिए 8 फीसद) के साथ जारी रखने का विकल्प दिया गया है, या फिर वो 5 फीसद जीएसटी की दर (अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए 1 फीसद) बिना आईटीसी का विकल्प चुन सकते हैं।