बीजिंग। मुस्लिमों के लिए पाक माने जाने वाले रमजान का महीना शुरू हो चुका है। दुनियाभर के मुस्लिम रोजे रख रहे हैं, लेकिन चीन में उइगर मुस्लिमों के रोजा रखने पर पाबंदी है। इतना ही नहीं, वे किसी भी तरह के धार्मिक काम या प्रतीकों को इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। चीन में इस तरह का प्रतिबंध खास तौर पर पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में है। यहां प्रशासन कड़ी नजर रखने के लिए सर्विलांस कैमरों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। मुस्लिम समाज के लोगों के दाढ़ी रखने, नमाज करने, महिलाओं के बुर्का या हिजाब पहनने पर भी पाबंदी लगाई गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पिछले सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में कहा कि चीनी अधिकारी रोजे के साथ ही दाढ़ी रखने, बुर्के, रोजना नमाज पढ़ने और शराब से बचने सहित धर्म से जुड़े अन्य प्रतीकों और मान्यताओं को चरमपंथ के संकेत के रूप में मानते हैं। मुस्लिमों के घरों की निगरानी के लिए बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई है। किसी पर भी संदेह होने की स्थिति पर उसके घर में घुसकर तलाशी ली जाती है। चीन ने शिनजियांग में इस्लामिक धार्मिक स्थलों को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया है। दरअसल, चीनी अधिकारी लंबे समय से इस्लाम के पालन को पार्टी की वफादारी के लिए एक खतरे के रूप में देखते रहे हैं और सभी धार्मिक समूहों पर कड़ी नकेल कसते रहे हैं। शिनजियांग क्षेत्र के मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अधिक आक्रामक रूप से दमन किया गया है। मीडिया में सामने आई कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को हिरासत शिविर में रखा है। वहां, उन्हें अपने धर्म को कोसने के लिए कहा जाता है, इस्लाम में हराम बताए गए तमाम काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। हालांकि, दुनिया भर में आलोचना होने पर चीन इन शिविरों को व्यावसायिक शिक्षा केंद्र बताता है। हाल ही में ऐसी कुछ महिलाओं को रिहा गया था, जिन्होंने दावा किया कि कैद के दौरान उनसे ऐसे कृत्य कराए गए, जो इस्लाम में हराम हैं। उन्होंने बताया कि चीन के शिविरों में बंद रहने के दौरान उन्हें पोर्क खाने को मजबूर किया गया और शराब का सेवन करने पर मजबूर किया गया, जो इस्लाम में हराम है।