राजधानी दिल्ली में पारा तेजी से चढ़ता जा रहा है। हीट स्ट्रोक की वजह से बीमार होकर अस्पतालों में पहुंचने वालों की संख्या बढ़ रही है। एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर आशुतोष बिस्वास का कहना है कि हीट स्ट्रोक होने पर मरीज को तुरंत अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाना चाहिए। यह जानलेवा हो सकता है। कई लोग किसी भी तरह के डिहाइड्रेशन से जुड़े लक्षण को हीट स्ट्रोक कहते हैं। यह ठीक नहीं है। हीट स्ट्रोक के लक्षणों पर गौर किया जाए तो इससे बचा जा सकता है। हीट स्ट्रोक से पहले आते हैं ये लक्षण- जरूरत से अधिक पसीना आना, ब्लड प्रेशर में कमी होना, मांशपेशियों में ऐंठन होना, डिहाइड्रेशन के साथ मितलीए चक्कर आनाए कमजोरी और सुस्ती। हालांकि पीड़ित होश में रहता है। लेकिन इस स्थिति में अगर वह बेहोश हो जाए तो समझिए उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है। हीट स्ट्रोक के दौरान क्या होता है- त्वचा गर्म और शुष्क हो जाती है, शरीर का तापमान 104 डिग्री या अधिक होना, दिल की धड़कन और सांसें तेज हो जाना या कम हो जाना, अचानक बेहोशी छा जाना, रक्त वाहिकाओं का कसना, यह शरीर के पहले से ही कम हो चुके ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का प्रयास करता है। हीट स्ट्रोक हर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर आ सकता है लेकिन फिर भी कुछ लोगों को इसकी आशंका अधिक होती है। तेज धूप में अधिक समय तक काम करने वालों को खतरा अधिक। अधिकतर हीट स्ट्रोक उस समय होता है, जब कोई शख्स बिना तरल पदार्थ लिए बहुत गर्म और आर्द्र मौसम में देर तक काम करता है। शिशुओं, छोटे बच्चों या बुजुर्गों के मामले में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। मधुमेह, मानसिक बीमारी, ब्लड प्रेशर की दवा खाने वाले, बहुत अधिक शराब पीने वाले या मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को खतरा अधिक होता है। यह करें- संभव हो तो पीड़ित व्यक्ति को स्नान कराएं या ऐसा नहीं है तो उसे गीली बेडशीट में लपेंटें। पीड़ित सचेत हो तो उसे हाइड्रेटेड करना चाहिए और पानी पिलाना चाहिए। इस अवस्था में खून गाढ़ा हो जाता है। ऐसे में पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर तरल चीजें दें। मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। यह कभी न करें- एनर्जी या शुगर वाले पेय पदार्थ न दें। ये है बचाव- शुगर का कम इस्तेमाल करें, धूप में निकलने से बचें, कैफीन और शराब से बचें, इस दौरान खूब पानी पीएं, हल्के रंग के ढीले-ढाले कपड़े पहनें, बाहर निकलते समय छातेए टोपी या कपड़े से खुद को ढंकें।