सेना के राजनीतिकरण को लेकर 150 से अधिक पूर्व सैनिकों द्वारा लिखी चिट्ठी पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। पहले राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है। अब एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने चिट्ठी पर अपने साइन होने से इनकार कर दिया है। पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को लिखी गई कथित चिट्ठी में पहले साइन करने वाले के तौर पर उल्लेखित जनरल एसएफ रोड्रिग्स ने इस पर खुद के साइन होने से साफ इनकार कर दिया है। एअर चीफ मार्शल एनसी सुरी ने एएनआई से कहा, यह एडमिरल रामदास की चिट्ठी नहीं है और यह मेजर चौधरी द्वारा किया गया है। उन्होंने यह लिखा है और यह व्हाट्सएप और ईमेल पर आ रहा है। मैंने लिखा कि सशस्त्र बल अराजनैतिक हैं और निर्वाचित सरकार का समर्थन करते हैं। ऐसे किसी भी चिट्ठी के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई थी। चिट्ठी जो कुछ भी लिखा गया है मैं उससे सहमत नहीं हूं। हमें मिसकोट किया गया है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि सेना के राजनीतिकरण को लेकर 156 पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इसको लेकर चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी लिखने वालों में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के पूर्व प्रमुख भी शामिल हैं। इस चिट्ठी में राष्ट्रपति से कहा है कि चुनाव के दौरान सेना का राजनीतिकरण हो रहा है। इसमें सेना द्वारा बॉर्डर पर किए गए आॅपरेशन का राजनीतिक पार्टियों द्वारा श्रेय लिये जाने और सशस्त्र बलों को मोदी जी की सेना कहे जाने का विरोध किया गया है। पत्र में कहा गया है कि कैंपेन के दौरान सेना की वर्दी और भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो का प्रयोग किया जाना भी ठीक नहीं है।