इको टूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत बदलने वाला है राज्य के सात बड़े जलाशय का परिदृष्य

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रायपुर। भारत सरकार के सौ करोड़ रुपये के ट्रायबल टूरिज्म सर्किट के बाद अब इतनी ही राशि के इको टूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत राज्य के सात बड़े जलाशय का परिदृष्य बदलने वाला है। पर्यटन मंत्रालय से प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के बाद विभाग ने राज्य के सात जिलों के प्रमुख जलाशयों को इस योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके तहत पर्यटकों के लिए वाटर स्पोर्ट्स, एडवेंचर, रेस्टोरेंट, कार्टेज व पिकनिक स्पॉट विकसित करने की योजना है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल इको टूरिज्म योजना के तहत जिन बड़े व प्रसिद्ध जलाशयों को इस सर्किट में शामिल कर विकसित करना चाहता है उनमें दलपत सागर (जगदलपुर), कोसारटेडा (कोंडागांव), दुधावा डेम (कांकेर), तांदुला डेम (बालोद), माडमसिल्ली (धमतरी), घोंगा जलाशय (बिलासपुर) व बांगो डेम (कोरबा) शामिल हैं। राज्य में इको टूरिज्म योजना का पैसा आता है तो भारत सरकार की तीन बड़ी परियोजना संचालित हो जाएगी। ट्रायबल टूरिज्म सर्किट स्वदेश दर्शन योजना और प्रसाद योजना में डोंगरगढ़ पूर्व में ही स्वीकृत है व संचालित है। इको टूरिज्म योजना के तहत विकसित होने के बाद राज्य में पर्यटक बढ़ने की संभावना है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा इन जलाशयों को इको टूरिज्म में शामिल करने के पीछे इनका उद्धार के साथ साथ जल व पर्यावरण संरक्षण भी है। इको टूरिज्म का मतलब है- इको टूरिज्म पर्यटन का एक रूप है, जिसमें नाजुक, प्राचीन और अपेक्षाकृत कम प्राकृतिक क्षेत्रों का दौरा किया जाता है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा, पर्यावरण का संरक्षण और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। यात्रियों को शिक्षित करना, पारिस्थितिक संरक्षण के लिए धन प्रदान करना, स्थानीय समुदायों के आर्थिक विकास और राजनीतिक सशक्तिकरण को सीधे लाभ पहुंचाने का प्रयास भी शामिल है। 1980 के दशक के बाद से पर्यावरणविदों द्वारा पारिस्थितिकवाद के मुताबिक इको टूरिज्म को एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जाता है।