उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा।

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उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपए के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीबीआई को लालू यादव की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। लालू यादव ने इन मामलों में उन्हें जमानत देने से इंकार करने के झारखण्ड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।चारा घोटाला अविभाजित बिहार के पशुपालन विभाग में खजाने से 1990 के प्रारंभ में फर्जी तरीके से नौ सौ करोड़ रूपए की रकम निकालने से संबंधित है। लालू प्रसाद यादव उस दौर में बिहार के मुख्यमंत्री थे। राजद सुप्रीमो इन तीन मामलों में दिसंबर 2017 से रांची की बिरसा मुण्डा केन्द्रीय जेल में बंद हैं। लालू यादव ने अपनी बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ का हवाला देते हुये झारखण्ड उच्च न्यायलाय से जमानत का अनुरोध किया था। लालू ने अपनी अपील में झारखंड उच्च न्यायालय के 10 जनवरी के फैसले को चुनौती दी है जिसमें चारा घोटाला संबंधी मामलों में जमानत का उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया था।लालू झारखंड के रांची में बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में बंद हैं। 900 करोड़ रुपए से अधिक का चारा घोटाला 1990 के दशक के शुरू में पशुपालन विभाग से जालसाजी कर धन्लए जाने से संबंधित है। उन दिनों बिहार का विभाजन नहीं हुआ था। तब अविभाजित बिहार में राजद की सरकार थी और लालू मुख्यमंत्री थे।यादव को चारा घोटाले के तीनों मामलों में दिसंबरए 2017 में रांची जेल में बंद किया गया था। इससे पहले राजद अध्यक्ष ने झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत के लिए अपनी उम्र और खराब सेहत का हवाला दिया था जिसमें उन्हें राहत नहीं मिली थी। राजद सुप्रीमो मधुमेह रक्तचाप और कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें इनमें से एक मामले में पहले जमानत मिल गयी थ