रायपुर। निर्वाचन के दौरान धन का दुरूपयोग रोकने के लिए प्रत्याशियों के निर्वाचन व्यय पर भारत निर्वाचन आयोग की कड़ी नजर रहेगी। लोकसभा निर्वाचन के दौरान निर्वाचन व्यय निगरानी के लिए टीमें तैनात रहेंगी। प्रत्याशी की हर राजनीतिक गतिविधि पर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार गठित टीमें निगरानी रखेंगी। ये बातें लोकसभा निर्वाचन-2019 की तैयारी के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में प्रदेश के सभी जिलों के निर्वाचन व्यय निगरानी के नोडल अधिकारियों एवं मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर पुलक भट्टाचार्य ने बताई। प्रशिक्षण के दौरान उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वय श्रीकांत वर्मा, आशीष टिकरिहा और सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनीष मिश्रा ने भी व्यय निगरानी से जुड़े विषयों पर विचार व्यक्त किए। मास्टर ट्रेनर पुलक भट्टाचार्य ने बताया कि निर्वाचन के दौरान व्यय निगरानी दल राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार और उनके द्वारा किए जा रहे जनसम्पर्क के विभिन्न माध्यमों तथा उसके लिए किए जा रहे उपक्रमों के व्यय का लेखा-जोखा तैयार करेगी। ये व्यय निगरानी दल निर्वाचन क्षेत्र के लिए गठित वीडियो निगरानी दल, वीडियो अवलोकन दल, लेखा दल, स्थैतिक निगरानी दल, एमसीसी, एमसीएमसी तथा नियंत्रण कक्ष के सहयोग तथा समन्वय से काम करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय की जानकारी कोई भी आम नागरिक सिर्फ एक रूपए जमाकर अवलोकन कर सकता है। निर्वाचन की निष्पक्षता, स्वतंत्रता को स्थापित करने के लिए निर्वाचन व्यय की सीमा का निर्धारण किया गया है। इसके तहत वर्तमान में लोकसभा निर्वाचन के लिए कोई भी अभ्यर्थी 70 लाख रूपए व्यय कर सकता है। उन्होंने बताया कि व्यय निगरानी दल हर उस संदिग्ध लेनदेन, परिवहन तथा व्यवहार पर नजर रखेंगे, जो निष्पक्ष निर्वाचन के किसी भी पक्ष को प्रभावित कर सकता है। प्रत्याशी के किसी भी व्यय पर मतभेद अथवा विवाद की स्थिति में जिला व्यय निगरानी समिति जिसके प्रमुख व्यय प्रेक्षक होते हैं, उनके समक्ष पक्ष रखा जा सकता है।
निगरानी की जानकारी हर नागरिक ले सकेगा
प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर श्रीकांत वर्मा ने बताया कि प्रत्याशी के प्रतिदिन की राजनीतिक गतिविधि की रिकार्डिंग वीडियो निगरानी दल करता है। जिसकी प्रतिलिपि तीन सौ रूपए देकर कोई भी नागरिक ले सकता है। इन वीडियो का अवलोकन वीडियो अवलोकल दल करता है। इस कार्य में किए गए व्यय का अनुमान लगाता है तथा उसे पंजी में दर्ज करता है। आचार संहिता लगने के साथ ही प्रचार के लिए तथा प्रचारकों के साथ चलने वाले वाहनों के व्यय, हेलिकॉप्टर से यात्रा, उस पर हुए व्यय का समायोजन, नकद राशि की प्राप्ति, सीमा से अधिक उपहार अथवा धन प्राप्त होने पर की जाने वाली कार्रवाइयों के संबंध में भी प्रशिक्षण में विस्तार से बताया गया। इस दौरान यह भी बताया कि व्यय निगरानी दल स्थानीय स्तर पर बैंकों के अधिकारियों की बैठक कर उन्हें संदिग्ध लेन-देन पर नजर रखने तथा इसकी जानकारी अनिवार्य रूप से जिला निर्वाचन कार्यालय को देने को देंगे। श्री वर्मा ने कहा कि व्यय निगरानी दल की सजगता तथा सर्तकता से निर्वाचन की शुचिता, पारदर्शिता और स्वतंत्रता को बरकरार रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि व्यय लेखा जमा नहीं करने वाले, गलत लेखा जमा करने वाले अथवा सीमा से अधिक व्यय करने वाले प्रत्याशियों को दंडित करने का प्रावधान है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ऐसे प्रत्याशियों को तीन साल के लिए निर्वाचन के अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। वहीं भारतीय दंड संहिता के तहत भी अनाधिकृत लेन-देन के लिए कार्रवाई का प्रावधान है।