तुष्टिकरण की नीति के तहत पेश हुआ राज्य सरकार की बजट को लेकर असंतुष्ट जताया विद्रोही

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बतौर वित्तमंत्री अपने कार्यकाल के अंतिम बजट प्रस्तुत किया है जो एक प्रकार से तुष्टिकरण की नीतियां नजर आती है। जहाँ पिछला बजट एक लाख चार हजार पांच सौ करोड़ रुपये की थी वही साल 2023 – 24 के लिए यह बजट एक लाख बत्तीस हजार तीन सौ सत्तर करोड़ रुपये रखी गई है जो करीब 17 प्रतिशत की वृद्धि है जो महंगाई दर की तुलना में आधे से तीन प्रतिशत ज्यादा है। इसी कारण है कि अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के बजाय उनके मानदेय में मामूली बढ़ोतरी कर तुष्टिकरण करने की कोशिश की गई। हालांकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की मानदेय में वृद्धि की गई लेकिन उनके बाकी मांगो को किनारे किया गया है। किसानों को 6800 करोड़ रुपये किसान न्याय योजना तक सीमित कर दिया गया है जबकि किसानों की उम्मीदें थी कि किसानों की उपज प्रति एकड़ 22 से 25 क्विंटल खरीदी किये जाने हेतु बजट का प्रावधान किया जाता।


बजट पर अपनी राय रखते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव व छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने कहा कि चुनावी साल में कांग्रेस सरकार अपनी चुनावी घोषणा पत्र को पूरा करने वाला बजट पेश किया जाना चाहिए था जो हुआ नहीं। घर घर रोजगार घर घर रोजगार के लक्ष्य को पूरा करने के बजाय बेरोजगारों को साल तक 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई है जबकि सुरक्षित रोजगार की बात होनी चाहिए थी। सर्व वृद्धा पेंशन योजना लागू नहीं कि गई। बजट सूटकेश में छत्तीसगढ़ महतारी और कामधेनु की वृतचित्र बनाई गई थी लेकिन उनके अनुरूप पिटारे में कुछ नहीं निकला लावारिश पशुओं को कैसे व्यवस्थित किया जाएगा एवं गोठनो में सहयोग करने वाले किसानों को कैसे मदद दी जाएगी इस पर बजट में कुछ नहीं है और न ही किसान खेतों में अपने पैरा अथवा कृषि अपशिष्ट न जलाएं इसके लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया जाना चाहिए थी जिससे खेत और पर्यावरण की रखा को बल मिलता इसका अभाव है।