आदिवासियों बहुमूल्य क्षेत्र होने के कारण सूचना का अधिकार ( RTI ) लगना बहुत ही मुश्किल

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गरियाबंद- जिला में RTI लगाने वाले के ऊपर संकट आदिवासियों बहुमूल्य क्षेत्र होने के कारण आज RTI लगना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना यही उद्देश्य है सूचना का अधिकार आम व्यक्ति अपने अधिकार को आसानी के साथ जानकारी ले सके। सूचना का अधिकार लोकतंत्र को कामयाब बनाना, सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी लेने के लिए एक बड़ा कदम है। इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त कर सकता है सूचना का अधिकार में 30 दिनों के अंदर उपलब्ध दस्तावेजों को प्राप्त कर सके। यही कारण है कि सूचना का अधिकार बनाया गया यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी में सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है। गरियाबंद जिला में आदिवासी क्षेत्र होने के कारण सूचना का अधिकार के लिए आम व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है । जबकि सूचना का अधिकार आम व्यक्ति का अधिकार होता है वह किसी भी जानकारी को सूचना के अधिकार के माध्यम से ले सकते हैं आम व्यक्ति अपने अधिकार की जानकारी किस प्रकार से ले सकते है वह केवल RTI के मध्यम से ही जनहित की जानकारी प्राप्त कर सकती है RTI ही एक मात्र साधन है कि किसी भी दस्तावेज को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी पंचायत ,सरकारी विभागों की जानकारी RTI के मध्यम से ही मिल सकता है। लेकिन RTI की जानकारी गरियाबंद जिला में देना तो दूर है। फर्जी आरोप लगा कर FIR किया जा रहा है। गरियाबंद जिला में अधिक तर पंचायत या विभाग में आदिवासी है। इसके लिए कोई भी RTI लगता है तो जानकारी नही देना और उस व्यक्ति के ऊपर झूठा आरोप लगाया जाता है। RTI लगते ही आदिवासी एक्ट लगने की घमकी या फर्जी झूठा आरोप की रुपये मांग रहे हैं यह आरोप इजी तरीका से लग कर FIR करते हैं । और तो और आज कल अपने अधिकार का गलत उपयोग कर रहे हैं। 99% गलत FIR होता है RTI लगाना अपने अधिकार की जानकारी लेने गरियाबंद जिला में बहुत ही जोखिम हो गया है। पंचायत में RTI लगया जाता है तो जानकारी क्यों नहीं देते हैं। केवल rti लगने वाले के ऊपर झूठा आरोप लगाया जाता है। और समूह में आ कर FIR के लिए पहुँच जाते हैं थाना समूह को देख कर FIR भी कर देती है। RTI लगने वाला एक अकेला रह जाता है। समूह जो बोलते है वह सब सही समझा जाता है जबकि हकीकत में जहाँ भी गड़बड़ी होती है वही RTI लगया जाता है जानकारी ना देना पड़े उस वजह से आरोप लगाया जाता है सरकार की योजना में सही उपयोग हो रहा हैं तो जानकारी देने में क्या है। और RTI नही देना है तो किस तरह से झूठा आरोप लगा कर फसाया जाये यही कोशिश करते हैं और समूह में आकर FIR के लिए जोर दे कर दबाव दिया जाता है। सबकी पंचायत अलग है सबका काम करने का तरीका अलग है। हकीकत है की सरकार की राशि कहा खर्च कर रही है। उसकी जानकारी आम जनता को उस योजना में पारदर्शिता होनी चाहिए। सरकार की दी हुई योजना का दुरुपयोग हुआ है कि नही सही जानकारी मिल सकती है सूचना का अधिकार लगने से गरियाबंद जिला में RTI लगने वाले के ऊपर सीधे आदिवासी होने का डरा लगा रहता है दो हथियार है एक धमकाकर उसूली दूसरा आदिवासी एक्ट (AKT) लगा दिया जाता है गरियाबंद जिला बहुत ही संकट में हैं। RTI के मध्यम से जानकारी लेने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है एक सामान्य व्यक्ति को RTI के मध्यम से जानकारी लेने बहुत ही दुःख दाई होता जा रहा है। और पुलिस विभाग भी RTI कार्यकर्ता पर कर FIR कर देती है। RTI कार्यकर्ता की चाही गई जानकारी धरी की धरी रह जाती है उसे जानकारी मिलना दूर उस पर झूठा आरोप लगा कर उसे परेशान कर दिया जाता है। गरियाबंद जिला में RTI की जानकारी नही दिया जाता है। आदिवासी क्षेत्र होने के कारण आदिवासी सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य का होना अनिवार्य है। जिस क्षेत्र में जिसकी जनसंख्या अधिक होने से उनकी बोलवाला अधिक इसलिए RTI लगने वाले व्यक्ति पर बहुत ही जोखिम उठाना पड़ता है झूठा आरोप किसी भी प्रकार से लगा दिया जाता है। सूचना का अधिकार लगाकर जानकारी लेना हुआ मुश्किल जब पंचायत में कोई काम नही होने से उसकी जानकारी लेने का अधिकार है मौखिक जानकारी से कुछ नहीं होता सबूत के लिए सूचना का अधिकार से ही जानकारी लिया जाता है। किस प्रकार की जानकारी हम ले सकते हैं। शासन द्वारा दिया गया अनुदान या विकास कार्य मे दिया गया राशि जो कि सही उपयोग हुआ है। या नही ग्राम पंचायत की आय, व्यय की जानकारी लिया जा सकता है सरकार द्वारा विकास कार्य मे दिया गया राशि कहा पर उपयोग किया गया , सरकारी कर्मचारियों अपनी आय से अधिक सम्पति हो उसकी भी जानकारी RTI के मध्यम से लिया जा सकता है। रोड, स्ट्रीट लाइट, राशन कार्ड, वृद्ध पेंशन, नल जल, जीवन या मुत्यु के पश्चात कहा पर फाइल अटकी हुई है क्या कारण है कि पेंशन अभी तक नही बना वह जानकारी लिया जा सकता है। यहाँ तक की किस अधिकारी ने कब कहा दौरा किया उसकी पेट्रोल में खर्च किया लॉक बुक की जानकारी , कई विभागों में समान वितरण किया जाता है उस समान को किस प्रकार से ख़रीदी की, किस हितग्राहियों को वितरण किया गया, कई योजना से सम्बंधित जानकारी लिया जा सकता है केवल सरकार के द्वारा दिया गया राशि का सही उपयोग सही हुआ है कि नही सब जानकारी RTI की तहत जान सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इस नम्बर में फोन करे मोबाइल नंबर 7000326919