गरियाबंद। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय, एक महिला ने ख़ुद को प्रधानमंत्री बनाए रखने की ज़िद में लोकतंत्र व संविधान को कुचल डाला। देश ने आज़ादी के बाद आपातकाल का दंश सहा है।आपातकाल के काले दिनों को नहीं भुलाया जा सकता। उक्त बातें पूर्व कृषि मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर साहू ने सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की राजनैतिक पृष्ठभूमि विचार यात्रा व 25 जून काला दिवस पर संगोष्ठी कार्यक्रम के दौरान कही। जनसंघ के कर्मठ कार्यकर्ताओं के शहादत और योगदान को याद करते हुए मीसाबंदी संघ चालक गिरीशदत्त उपासने, लोचन साहू, बलदेवसिंह हुंदल का साल, श्रीफल भेंटकर सम्मान किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साहू ने आपातकाल के उन काले दिनों को याद करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर देश में आपातकाल लागू किया था, इस दौरान अभिव्यक्ति की आजादी पर कड़ा प्रहार किया गया। संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए इस दिन लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई थी, प्रेस व अखबारों की मौलिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। विरोधी पार्टी के नेताओं को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि का आपातकाल था। इस दौरान इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल में बंद करवा दिया था। हर तरफ दहशत का माहौल था। शासन के खिलाफ कोई भी खुलकर नहीं बोल सकते थे। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन सरकार के विरोध में
जनजागृति की दृष्टि से आंदोलन का प्रारंभ किया गया। संघ के कार्यकर्ताओं ने भूमिगत होकर इस सत्याग्रह का सूत्रपात किया। इस दौरान छात्र आंदोलन भी प्रभावी बना। उन्होंने आगे कहा कि कई महापुरुषों के बलिदान से यह दिन देखने को मिला है। जनसंघ एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कड़ी यातनाएं सहते हुए अपना योगदान दिए हैं। आपातकाल की घटना से कार्यकर्ताओं को अवगत कराने के साथ ही इससे प्रेरित होना जरूरी है।साहू ने कहा कि आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में इसी प्रकार से संवैधानिक परंपराओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है। साहू ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसी मानसिकता के साथ कार्य कर रही है, कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही है। जिसमें साधु संत पर हमला हो रहा है, फर्जी एफआईआर दर्ज किए जा रहे हैं। जो कि उसी मानसिकता का दर्शाता है। मीसाबंदियों की पेंशन बंद कर दी है। उन्होंने कहा कि देेेश में यह काला दिन और कभी न आए, संदेश देने की जरूरत है।कार्यक्रम को विभाग संघ चालक गिरीशदत्त उपासने ने संबोधित करते हुए उस कालखंड पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 25 जून 1975 लोकतंत्र के लिए काला दिवस था। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को अपमानित किया गया था। उन्होंने अपने मार्मिक संस्मरण को बताया कि उस दौरान वे 11वीं के छात्र थे। देश में ऐसी स्थिति निर्मित हो गई थी, कि सभी तरफ दहशत का माहौल था। आपातकाल के दिनों में जो दुःख, दर्द थे, उसे मैं जानता हूं। दोनों भाई को पुलिस उठाकर ले गई, पिता जी का ट्रांसफर कर दिया गया। पुलिस लगातार छापामार कार्यवाही करते थे। बताया कि 11वीं की परीक्षा मैंने हथकड़ी पहनकर दी, मुझे अलग बैठा दिया जाता था। इन सबके बाद भी 11वीं में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। बताया कि उनके प्रथम आने पर जेल में उत्सव मनाया गया।भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश साहू ने भी संबोधित किया, संचालन जिला महामंत्री अनिल चंद्राकर ने किया। इस अवसर पर भाजपा जिला मंत्री मिलेश्वरी साहू, जिला प्रचार प्रसार मंत्री राधेश्याम सोनवानी, मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र सोनटेके, अजय रोहरा, झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ संयोजक परस देवांगन, रिखी राम यादव, पूर्णिमा तिवारी, सरला उइके, खीरमणि हरपाल, सीमा , तोरण सागर, भाजयुमो जिला मीडिया प्रभारी रितेश यादव, आनंद ठाकुर, सुनील यादव, प्रहलाद ठाकुर, इत्यादि उपस्थित थे।