गरियाबंद – क्षेत्र में हरे पेड़ों की कटान धड़ल्ले से जारी है। जंगल की इमरती लकड़ीयो की कटाई अंधाधुंध चल रही है जंगल कुछ साल में पूरी तरह से साफ होने की कगारों तक पहुंचा गई है। जंगल को देखने वाले लोग केवल बैठे बैठे पेमेंट ले रहे हैं जंगल की जिम्मेदारी को केवल फाइल तक सिमिटि हुई है जमीनी हकीकत तो और हैं । जंगल केवल रोड के आसपास है
।अंदर जंगल को जेसीपी द्वारा साफ कर दिया गया है। अब जंगल मे जितने भी इमारती लकड़ी को बेरहमी से काट कर गयाब कर दिए हैं गरियाबंद जिला आदिवासी क्षेत्र होने के कारण विकास के नाम पर आधी हैं। जंगल तो अब नाम मात्र ही रह गया है। जंगल से पेड़ गायब होते जा रहे हैं। जंगल की रखवाली करने वाले अधिकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी ठीक नहीं करते हैं वह केवल घर घर जा कर ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रहे हैं । मगर जो जंगल में ताबड़तोड़ कटाई चल रही है उसको देखने तक नहीं जाते । गरियाबंद जिले में कईग्राम पंचायत हैं जो बड़े जंगल के झाड़ काट कर खेत बना रहे हैं। जंगल को कब्जा कर रहे हैं। पेड़ों की कटान कर बेरहमी से उसके ठुट को जला रहे हैं और बची हुई लकड़ी को बाद में उसे सुनियोजित तरीके से वाहनों से लादकर बाहर निकाला दिया जाता है। जंगल की कटाई करने वाले माफिया के हौसलों के सामने अफसर बेबस नजर आते हैं । आखिर क्या वजह है कि जंगलों में बड़े झाड़ को कटाकर अंजाम दिया जा रहा है। कई बार तो वन विभाग का भी काम पुलिस विभाग करती है क्या कारण है कि अवैध कटान को लेकर गांव गांव में वन सुरक्षा टीम बनाई गई है। वह अपनी जिम्मेदारियों को नही समझेते है वन सुरक्षा उसी गांव के व्यक्ति होते हैं। चुप क्यों रहते हैं । वन सुरक्षा समिति को सही ट्रेनिंग नही दिया जाता है। यही एक वजह हो सकती है। जिम्मेदार अधिकारी केवल ऑफिस में रह कर क्या जानेंगे कि वस्तओं में जमीनी हकीकत क्या है।