विकलांग बुजुर्ग व्यक्ति खुले आसमान में रहने को मजबूर ग्राम पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग की ओर से कोई सुविधा नहीं

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सरकार कि ओर से लोगों को मकान ओर पेशन राशन कि सुविधा मिलती है लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो अभी तक मकान राशन और पेंशन जैसे सुविधा से वंचित है और तो और खुले आसमान में रहने को बेबस है कहने को तो सरकार जनताओं के लिए बहुत सी योजनाएं चला रही है रुपधर नागेश नामक व्यक्ति जोकि ग्राम पंचायत खोखमा के आश्रित ग्राम ध्रुवागुड़ी में निवासरत है लेकिन आज तक उन्हें किसी प्रकार की बुनियादी सुविधा नहीं मिल पाई नहीं उसके पास रहने को मकान नहीं व खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं और नहीं खाने पीने का कोई व्यवस्था नही ठीक से चल भी नहीं सकता बड़ी ताज्जुब की बात यह है पंच या सरपंच या किसी प्रतिनिधि के द्वारा किसी भी तरह का हाल-चाल एवं किसी प्रकार कि जानकारी लेना उचित नहीं समझा और तो और रुपधर नामक व्यक्ति पहले अपने शरीर में बल था तब तक कहीं से जीवन यापन कर लेता था लेकिन बुजुर्ग को 60 से 65 वर्ष अधिक उम्र गुजर जाने के बाद उसका रहने व खाने-पीने का कोई सुविधा नहीं हो रहा है नहीं उसके पास कोई परिवार वाले हैं लेकिन सोचने वाली बात यह है खोखमा पंचायत में निवासरत होने के बावजूद भी किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल पाई हालांकि सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है यहां तक आधार कार्ड तक नहीं है लेकिन सरकार व नेता कई बडी बडी वादा करती हैं लेकिन अब भी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है उस व्यक्ति जो खुले आसमान में सोने को मजबूर व खाने पीने का ठिकाना नही जो उसके दुख भरी कहानी व दासता सुनने वाला कोई नहीं गरियाबंद जिले के जनपद पंचायत मैनपुर के ग्राम पंचायत खोखमा का है जो बुजुर्ग आदमी के पास खाने का सुविधा व रहने को घर नहीं पहने को कपड़े नहीं खुले आसमान में सोने को मजबूर व बेबस कोरोना जै भैयकंर महामारी में बेबस बुजुर्ग आदमी को कोई जिमेदारी पदधारी सुद लेने वाला कोई नहीं