“हर एक जीवन अनमोल है””

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डिलीट करने से पहले एक बार जरूर पढ़ें 🙏🙏🙏

बहुत ही दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि सब कुछ जानकर भी लोग अनजान बने हुए हैं। केंद्र व राज्य सरकारों की इतनी अपील, सख्ती (लॉक डाउन ) के बाद भी लोग सड़कों पर घूम रहे हैं, कोरोना का जोक फॉरवर्ड कर रहे हैं, मामले की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं।


(1) ये हमारी खुशकिस्मती है कि यह बीमारी ऊपर से नीचे की ओर आ रही है। जिससे छोटे शहरों व गांव के लोग अभी संक्रमित नहीं है। अभी हम इसे रोक सकते हैं अपनी जागरूकता से व सरकार की गाइडलाइन को मानकर।

(2) अभी हमने इसे नहीं रोका तो इस महामारी को हमारा देश सहन नहीं कर पायेगा क्योंकि चीन, इटली,स्पेन, ईरान, अमेरिका आदि देशों के मुकाबले हमारी स्वास्थ्य सेवा बहुत पीछे है।

(3) इटली में मरने वालों की संख्या में बढोत्तरी का कारण लोगों को वेंटिलेटर से हटाया जाना है, क्योंकि नए मरीज इतने अधिक बढ़ रहे हैं कि जो मरीज ज्यादा समय से अस्पताल में भर्ती हैं , व सुधार नहीं हो रहा है नए मरीज के लिये डॉ दुखी मन से लाइफ स्पोर्ट सिस्टम को हटाने पर मजबूर हो रहे हैं जिससे लोग तड़प तड़पकर दम तोड़ रहे हैं।

(4) सबसे महत्वपूर्ण बात अगर कोई कोरोना पॉज़िटिव पाया जाता है तो उसका इलाज तो सरकार अपने तरीके से करेगी परन्तु उसके साथ उसका कोई रिश्तेदार (पत्नी, पुत्र, पुत्री) दोस्त कोई पानी देनेवाला भी नहीं होगा। अगर किसी मरीज की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है तो वो किसी अस्पताल में अकेले ही मरने को मजबूर होगा अंत समय में उसका कोई प्रियजन उसके साथ नहीं होगा ।

(5) ईश्वर की कृपा से हम खुशकिस्मत हैं कि हमारे पास संभलने का मौका है।🙏। यदि नहीं संभले और इटली जैसी स्थिति हो गयी, तो मरने पर अपना सगा भी कोई कंधा देने नहीं आएगा। कोई सामाजिक नियम कानून नहीं होगा भारतीय सेना आपके परिवार की बिना जानकारी में कहीं दफना देगी। जो भयावह स्थिति है। तो इससे बचने के लिए क्यों न आज हम सरकार की बात मानकर और अपना कर्तब्य समझकर अपने परिवार के साथ रहकर खुशियां बांटे और कोरोना को समाज से दूर रखें।🙏।

(6) जरा सोचिए उस कर्मयोगी के बारे में जिसके एक आह्वान पर कल पूरा देश अपने आप को जनता कर्फ्यू में कैद कर लिया था और आज लोग सारे नियम कानून को तोड़ने पर आमादा थे। उसे आज फिर आह्वान करना पड़ा। उसे मालूम है कि सारी सुविधाएँ होने के बावजूद इटली के प्रधानमंत्री गुइसेप अपने देश की जनता को नहीं बचा पा रहे हैं और रो रहे हैं। हम तो 130 करोड़ हैं और सुविधाएं भी कम । उसे मालूम है कि इसको रोकने का एक ही तरीका है इससे ”बचाव” पर हम नहीं समझ रहे।।

(7) यदि हम अपना, अपने परिवार का, गांव का, समाज का, देश का भला चाहते हैं तो हम कोरोना के चैन को तोड़ें हम उसके वाहक न बनें, हम अपने घर में रहें नहीं तो कहीं हम उसके वाहक बने तो आनेवाली सात पुश्तें हमें, हमारे परिवार को माफ नहीं करेगी क्योंकि ये एक महामारी है ।।

आपने बहुत सारे मैसेज फारवर्ड किये होंगे , इसे भी अपना कर्तब्य समझकर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं, जिससे लोग कोरोना से अपना बचाव खुद करें।।