रायपुर। प्रदेश में संभागायुक्तों को सरकार ने पॉवरफुल बना दिया है। अब तक संभागायुक्त पद केवल औपचारिक माना जाता था। गुरूवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संभागायुक्तों को प्रशासनिक कसावट लाने की पूरी जिम्मेदारी दे दी है। उन्होंने निर्देश दिया है कि संभागायुक्त अनिवार्य रूप से कलेक्टर, एसडीएम, तहसील और अन्य अधीनस्थ कार्यालयों में से किसी एक का रोज निरीक्षण करें। उन्होंने संभागायुक्तों को लोक सेवा गारंटी के कामों की मॉनीटरिंग की भी जिम्मेदारी दी है। मंत्रालय में मुख्यमंत्री ने सभी संभागों के आयुक्त, जिला कलेक्टरों, एसपी, नगर निगम आयुक्तों, नगर पालिका, नगर पंचायत और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की बैठक ली। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक कामकाज की समीक्षा करते हुए संभाग और जिलों के अधिकारियों से साफ कहा कि काम का रिजल्ट दिखना चाहिए। जनता की समस्याओं का वास्तविक निराकरण होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम के लंबित और खारिज प्रकरणों की फिर से समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि वनाधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभाओं का पुनर्गठन किया जाएगा। उनकी भूमिका और उनके आवेदनों पर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अबूझमाड़ के परंपरागत निवासियों को शीघ्र पट्टा देने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों का गंदा पानी नदियों में जाकर मिल रहा है, यह चिंता का विषय है। इस पर अधिकारियों ने बताया कि अमृत मिशन के तहत पांच शहरों में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की सरकार और प्रशासन तक सीधे पहुंच होनी चाहिए। ऐसा कोई कार्यक्रम बने जिससे जनता के साथ सीधे संवाद हो सके। उन्होंने जनता के द्वार कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया है। प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद से निपटने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी नीति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों से सख्ती से निपटना है और आदिवासियों का मन जीतना है। उन्होंने नक्सलवाद को कुचलने और हर युवा को काम देने की बात कही। मुख्मयंत्री चिटफंट कंपनियों के खिलाफ भी सख्ती दिखे। माइक्रो फाइनेंस कंपनी की गतिविधि के कारण कोरिया एसपी विवेक शुक्ला पर नाराज हुए। मुख्यमंत्री बोले- नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना से एक-दो साल में अच्छे परिणाम आएंगे। गोठान के लिए भूमि चयन में सावधानी बरतें, विवाद से बचें। सौर सुजला योजना के 20 फीसद कनेक्शन गौठानों के लिए सुरक्षित होंगे। जमीन के बंदोबस्त त्रुटियों के निराकरण के लिए नियमित कैम्प लगाए जाएं। जिला खनिज न्यास निधि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार देने में खर्च करें। अगले वर्ष तक सभी नगरीय निकायों को पूरी तरह से टैंकर मुक्त बनाएं। सभी सरकारी आवास में वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया जाए। छात्रावासों में देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए। जन्म लेते ही बच्चे को पिता के जाति का प्रमाणपत्र मिले, ऐसी व्यवस्था बनाएं। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे गांवों में गोठान शुरू करें, ताकि मवेशियों के कारण होने वाले हादसे कम हों।