जानिये भस्त्रिका प्राणायाम को करने का सही तरीका

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बढ़ते वजन को काबू में करने की सारी कोशिशें बेतरतीब लाइफस्टाइल की वजह से बेकार साबित होती हैं। ऐसे में योग करना काफी फायदेमंद हो सकता है। रोजाना 5 मिनट बस एक भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास न सिर्फ मोटापा कम करने में मदद करेगा, बल्कि कई बीमारियों से भी मुक्ति दिला सकता है। यहां नीचे दिए गए लिंक में खुद योगगुरु बाबा रामदेव से जान सकते हैं भस्त्रिका प्राणायाम को करने का सही तरीका। आइए जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम की विधि और फायदे –
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका का शब्दिक अर्थ है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं।
विधि – इस आसन को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, पीठ और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए ज्ञान मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद नाक से इस तरह सांस अंदर भरें कि उसकी आवाज साफ-साफ सुनाई दे। इसी तरह आवाज करते हुए सांस को बाहर छोड़ें। यही क्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है। ध्यान रहे, श्वास लेते और छोड़ते वक्त हमारी लय ना टूटे।
लाभ – इस प्राणायाम को करने से शरीर से कार्बन डाई आॅक्साइड बाहर निकलती है और खून साफ होता है। शरीर के सभी अंगों में खून का संचार होता है और इसके अभ्यास से मोटापा दूर होता है। यह प्राणायाम नियमित करने से दमा, टीवी और सांसों के रोग दूर हो जाते हैं। फेफड़े मजबूत होता है और वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते है। इससे पाचन संस्थान,लीवर और किडनी की मसाज होती है।
सावधानी- भस्त्रिका प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले, हृदय रोग, मस्तिष्क ट्यूमर, मोतियाबिंद, आंत या पेट के अल्सर या पेचिश के मरीजों के ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए। गर्मियों में इसके बाद शीतली या शीतकारी प्राणायाम करना चाहिएए ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।