रायपुर। छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण के कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि कृषि उत्पाद से बायो फ़्यूल उत्पादन बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है। अभी सबसे ज्यादा विदेशी धन पेट्रोलियम पदार्थों में लग रहा है। खेती को लाभ का धंधा बना दिया जाए, तो लोग नौकरी के पीछे नहीं भागेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि उत्पाद से यदि हम बायोफ्यूल बनाएंगे, तो लोगों को लाभ भी होगा, रोजगार मिलेगा, नैसर्गिक संसाधनों का नुकसान कम होगा। विदेशी धन भी बचेगा। इसे निरंतर बनाया जा सकता है। धान और गन्ना से रॉ मटेरियल उपलब्ध हो जाएंगे। वनमंत्री अकबर ने कहा कि पिछली सरकार ने रतनजोत से बायो डीजल के लिए प्रयास किया था, लेकिन असफल रहे, इसकी वजह गलत दिशा में किया गया प्रयास था। पूरा संसाधन रतन जोत के उत्पादन में लगा दिया गया था, जिससे पूरा सिस्टम फेल हो गया। हमारी सरकार उपलब्ध संसाधनों से बायो फ़्यूल उत्पादन करेंगे। कृषि उत्पाद से बायोफ्यूल उत्पादन को लेकर आयोजित कार्यशाला में चार ग्रुप बनाकर चर्चा की गई। बायोमास के उत्पाद को लेकर टेक्नोलॉजी, बायो विशेषज्ञ, बैंक और फाइनेंस के विशेषज्ञों के बीच चर्चा की गई। भूपेश सरकार के नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत इस वर्कशॉप को अहम माना जा रहा है। इस कार्यशाला में उद्योग मंत्री कवासी लखमा, आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह भी शामिल हुए। कार्यशाला में देशभर के कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी मौजूद रहे।