सीएम भूपेश बघेल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर कृषि बीमा के प्रावधानों में संशोधन करने की मांग की

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह को पत्र लिखकर कृषि बीमा के प्रावधानों में संशोधन करने की मांग की है। सीएम ने पत्र में कहा कि फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन राज्य में 2016 से किया जा रहा है। अब तक 6 मौसमों में से 4 मौसम जिसमें 2016 से लेकर 2018 खरीफ और 2017 व 2018 में रबी की फसल मौसम से प्रभावित रही हैं। इस अवधि में प्रदेश के 45.37 लाख कृषकों का बीमा हुआ था उनमें से महज 13.41 लाख किसानों को ही बीमा दावा प्राप्त हुआ। बीमित किसानों की तुलना में लाभान्वित किसानों की संख्या कम होने की वजह से यह योजना राज्य में किसानों के मध्य लोकप्रिय नहीं हो पाई है। सीएम ने इस योजना को ज्यादा प्रभावशील बनाने के लिए वर्तमान प्रावधानों में संशोधन करने की आवश्यकता बताई है। सीएम भूपेश ने योजना को कृषक हितैषी बनाने हेतु राज्य शासन का सुझाव दिये हैं कि अधिक से अधिक किसानो को दावा भुगतान के दायरे में लाने हेतु क्षतिपूर्ति स्तर को 70, 80, 90 प्रतिशत से बढाकर क्रमश: 85, 90 एवं 95 प्रतिशत किया जावे। विगत वर्षों में 1 रू से भी कम दावा राशि प्राप्त होने के कारण बीमित कृषकों के मध्य आक्रोश उत्पन्न हुआ है। अत: क्षतिपूर्ति हेतु पात्र पाए जाने पर संबंधित किसान को सम्मानजनक एक निर्धारित न्यूनतम क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने का प्रावधान किया जावे। भारत सरकार की अन्य केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की तरह केन्द्र एवं राज्य अंश राशि का अनुपात 50:50 से बढ़ाकर 60:40 में किया जाये। मौसमी आंकड़ों की सटीकता एवं क्षति के सही आंकलन हेतु प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर भारत सरकार द्वारा स्वचलित मौसम केन्द्र/वषार्मापी स्थापित किया जावे। योजना में प्रीमियम तथा दावा का अनुपात 1:3.5 से अधिक होने पर दावा देयता बीमा कंपनी को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है, किंतु बीमा कंपनी को होने वाले शुद्ध लाम की कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है। बीमा कंपनी के लाग की अधिकतम सीमा भी निर्धारित किया जाना उचित होगा। कृषि ऋण एवं बीमा के दोहराव को रोकने तथा बैंको द्वारा कृषको के विवरण की प्रविष्टी में होने वाले त्रुटी को कम करने के लिए एकीकृत कृषि ऋण संवितरण एवं बीमा प्लेटफार्म विकसित किया जावें। इस हेतु सभी मू-अभिलेख के डिजिटाइजेशन एवं जियो टेगिंग करने हेतु पृथक से वित्तीय प्रावधान किया जाना आवश्यक है।