कैबिनेट के अनुमोदन के बाद गहलोत सरकार ने नई वादकरण नीति जारी कर दी है। भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बाद नीति जारी की गई है। नई वादकरण नीति यह निर्धारित करेगी कि कैसे अदालतों में बढ़ते मामलों के बोझ को हलका किया जाए और कैसे सरकार सशक्त और जिम्मेदारी के साथ कार्य करे। राज्य में करीब 15 लाख पेंडिंग मामलों में सरकार या तो याचिकाकर्ता है या फिर प्रतिवादी। इसमें कहा गया है कि मामलों को आखिरी फैसले के लिए अदालतों पर छोड़ दिए जाने की प्रवृत्ति को त्यागा जाना है। राज्य सरकार ने नई वादकरण नीति के क्रियान्वयन की निगरानी और नीति में निर्धारित सिद्धांतों का अनुकरण करने के लिए सरकारी विभागों की जवाबदेही तय की है। इसके लिए सरकार अधिकार संपन्न समिति गठित करेगी। इसके तहत मामलों के शुरूआती चरण को छोड़कर सरकारी वकील स्थगन करने की मांग करने से बचेंगे। मुकदमे के शुरूआती चरण में याचिकाओं पर सरकारी विभागों के जवाब की आवश्यकता होती है। नीति के तहत सरकार अंतरिम और एकतरफा आदेशों के खिलाफ अपील करने से परहेज नहीं करेगी। निजी शिकायतों सेवा से जुड़े, पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ जैसे मामलों में फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जाएगी।