पुरुषों को 35 साल की उम्र तक बन जाना चाहिए पिता, जाने क्या कहता है शोध

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डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि स्वस्थ संतान के लिए महिलाओं को 35 की उम्र से पहले मां बनना चाहिए। लेकिन, एक हालिया शोध में कहा गया है कि पुरुषों को भी 35 साल की उम्र तक पिता बन जाना चाहिए। 35 तक पिता बन जाने से होने वाले बच्चों में बीमारियों का खतरा कम होता है। पुरुषों के संबंध में जानकारी नहीं अब तक यही माना जाता रहा है कि जितनी ज्यादा उम्र में महिलाएं बच्चा पैदा करती हैं, बच्चे की सेहत को उतना ही ज्यादा खतरा होता है। लेकिनए जहां तक पुरुषों की बात है तो कभी इस तरह की कोई बात नहीं की जाती। ताजा शोध बताते हैं कि पिता की उम्र का भी संतान की सेहत पर उतना ही असर पड़ता है, जितना मां की उम्र का। मतलब यह हुआ कि उम्र के बढ़ने के साथ पुरुषों के वीर्य की गुणवत्ता घटती रहती है और यह बीमारियों को भी अंजाम देती है। बायोलॉजिकल साइकाइट्री नाम की विज्ञान पत्रिका में छपे एक शोध के अनुसार पिता की उम्र ज्यादा होने का सीधा संबंध सिजोफ्रीनिया के साथ देखा गया है। सिजोफ्रीनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति का बर्ताव असामान्य हो जाता है और तार्किक रूप से चीजों को सोचने या समझने की क्षमता नहीं बचती। शोध करने वाले चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के शी हेंग वांग का इस बारे में कहना है, पिता की उम्र में हर दस साल की बढ़ोतरी से संतान में सिजोफ्रीनिया का खतरा 30 फीसदी और बढ़ जाता है। शोध के अनुसार पुरुषों की उम्र 35 से ज्यादा होने से संतान को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। मिसाल के तौर पर 40 की उम्र से ज्यादा वालों की संतान को 30 की उम्र से कम वालों की तुलना में आॅटिज्म का खतरा 5.75 फीसदी ज्यादा दर्ज किया गया। इसके अलावा इन संतानों में एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआॅर्डर, साइकॉसिस, बायपोलर डिसआॅर्डर, खुदकुशी की कोशिश और नशे की लत जैसे खतरे भी दर्ज किए गए। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वेक्षण में 2007 से 2016 के बीच पैदा हुए चार करोड़ से ज्यादा बच्चों का आंकड़ा जमा किया गया। इसमें देखा गया कि ज्यादा उम्र के पिता की संतान को कई मामलों में जन्म के वक्त आईसीयू में रखना पड़ा या फिर उनका वक्त से काफी पहले ही जन्म हो गया और ऐसे बच्चों का वजन भी 35 साल से कम उम्र के पिताओं की संतानों की तुलना में कम रहा। इतना ही नहीं इससे महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का खतरा भी ज्यादा रहा। खास कर 55 साल की उम्र से ज्यादा वाले पुरुषों के मामलों में महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा 34 फीसदी ज्यादा देखा गया। मां-पिता दोनों का होता है असर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल आॅफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर माइकल आइजनबर्ग का कहना है, हम जानते हैं कि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, बच्चे के लिए खतरा भी बढ़ता रहता है लेकिन, यह शोध हमें ये प्रमाण दे रहा है कि पिता की उम्र का भी असर होता है। कुल मिला कर मां और पिता दोनों की उम्र 35 से कम हो, तो बच्चों की सेहत बेहतर रहती है। वैज्ञानिक पहलुओं के अलावा बच्चों पर माता-पिता की उम्र के सामाजिक असर पर भी अध्ययन होते रहे हैं। माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च के मीको मिर्सकिला ने अपनी स्टडी में पाया है कि मां की उम्र जितनी ज्यादा होती है, संतान की शिक्षा का स्तर भी उतना ही ज्यादा होता है। बहुत कम उम्र में शादी हो जाने के कारण जो महिलाएं खुद ही उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं, वे खुद को और अपने परिवार के हकों को ले कर बहुत जागरूक नहीं होती हैं और ऐसे में उनके बच्चे भी बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं हो पाते हैं। बच्चों को खतरा 35 के बाद पिता बनने से संतानों में आॅटिज्म, एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआॅर्डर, साइकॉसिस, बायपोलर डिसआॅर्डर, खुदकुशी की कोशिश और नशे की लत जैसे खतरे भी दर्ज किए गए। संतानों की सेहत पर मां और बाप दोनों की ही उम्र का प्रभाव पड़ता है।