आज राहुल गांधी लेंगे गठबंधन पर अंतिम निर्णय

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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन करीब-करीब तय हो गया है। कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने जानकारी देते हुए बताया कि आज राहुल गांधी इस पर अंतिम फैसला ले सकते हैं। चाको ने जानकारी दी कि हमने अब तक आम आदमी पार्टी से कोई बात नहीं की है क्योंकि अपने पार्टी के स्टैंड के आधार पर हम गठबंधन के बारे में निर्णय लेंगे। दोनों पार्टियों के बीच में कई सारी परेशानियां हैं लेकिन उसे अलग रखते हुए हमें बीजेपी और मोदी को हराना है इसलिए हमें साथ आना होगा। दरअसल, कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता दिल्ली में भाजपा के विजय रथ को रोकना है। यह तय है कि गठबंधन नहीं हुआ तो भाजपा आसानी से एक बार फिर सातों सीटों पर कब्जा कर सकती है। वहीं गठबंधन होने से इन सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला हो जाएगा। यही कारण है कि कुछ समय पहले जहां प्रदेश कांग्रेस के दो सदस्य ही चुनावी गठबंधन के पक्ष में थे, अब उनकी संख्या पांच तक हो गई है। लोकसभा चुनाव 2019 के रण में राजधानी में गठबंधन को लेकर खींचतान चल रही है। आप ने दिल्ली में कांग्रेस को पटकनी देकर ही सत्ता हासिल की थी। दिल्ली में कांग्रेस की दुर्गति के पीछे आप का ही हाथ रहा है। वर्तमान समीकरणों में भाजपा को हराने के लिए गठबंधन दोनों ही पार्टियों की मजबूरी है। कांग्रेस का एक धड़ा आप से गठबंधन के पक्ष में है तो दूसरा इसका विरोध कर रहा है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ प्रदेश स्तर के नेताओं की बैठक में स्पष्ट हो गया था कि गठबंधन पर ग्रहण लग गया है। इसके बावजूद सोमवार को एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष ने इसी मुद्दे पर सभी नेताओं को बुलाया। बैठक में गठबंधन के पक्ष व विरोध में करीब-करीब बराबर वोट मिले। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको, पूर्व अध्यक्ष अजन माकन के अलावा इस बार सह प्रभारी कुलजीत नागरा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, सुभाष चोपड़ा ने गठबंधन के पक्ष में सहमति दी। उनका तर्क था कि वर्तमान हालात में एक-एक सीट की अहमियत है। यदि भाजपा को हराना है तो दुश्मनी भुलाकर आप से गठबंधन कर लेना चाहिए। राजनीति में स्थायी दुश्मनी ठीक नहीं है। बताया जा रहा है कि ताजदार बाबर, दिल्ली प्रदेश के 14 जिलों के अध्यक्ष, तीनों एमसीडी के नेता भी आप से गठबंधन के पक्ष में हैं। दूसरी तरफ, प्रदेशाध्यक्ष शीला दीक्षित, कार्यकारी अध्यक्ष हारुन यूसुफ, राजेश लिलोठिया, देवेंद्र यादव, पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल, योगानंद शास्त्री ने गठबंधन का खुलकर विरोध किया। इनका तर्क था कि लंबी पारी खेलने के लिए आप से दूरी बनाकर रखनी होगी। दिन-प्रतिदिन आप का ग्राफ गिर रहा है और बैसाखियों से उसे ऊर्जा मिलेगी और कांग्रेस का नुकसान होगा। आज दो से तीन सीटों के लिए कांग्रेस को समझौता नहीं करना चाहिए। पक्ष व विरोधियों का पलड़ा बराबर होने पर एक बार फिर गठबंधन का निर्णय राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया। कांग्रेस पर गठबंधन के लिए अपने अन्य राज्यों के सहयोगियों का भी दबाव है। जिस प्रकार राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता शरद पवार व अन्य नेता भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को गठबंधन के लिए मना रहे हैं, उससे मना करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। जल्द ही गठबंधन तय है।