नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बाइक रैली और रोड पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसी याचिका पर सुनवाई की जरूरत है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ईवीएम मामले को लेकर सुनवाई करेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बता दें कि विपक्ष के नेता चंद्रबाबू नायडू ,अखिलेश यादव, के सी वेणुगोपाल,शरद पवार, अरविंद केजरीवाल,सतीश चंद्र मिश्र समेत विपक्ष के 21 नेताओं ने याचिका दायर। दरअसल इस याचिका में म्टड द्वारा होने वाले चुनाव में गड़बड़ी की बात कही थी और मांग की थी की 50 फिसदी तक पर्चियों के से मिलान किए जाए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को कोर्ट की सहायता के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए कहा था। गौरतलब है इस याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने इंदिरा नेहरू गांधी बनाम राज नारायण के 1975 के फैसले में कहा था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा थे। याचिकाकतार्ओं में एनसीपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल तृणमूल के डेरेक ओ. ब्रायन, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा डीएमके नेता एमके स्टालिन सीपीएम के टीके रंगराजन राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला सीपीआई के एसएस रेड्डीए जेडीएस के दानिश अली राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह एआईडीयूएफ के मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल के जीतन राम मांझी प्रो. अशोक कुमार सिंह टीडीपी और आप आदि शामिल हैं। इसके अलावा एक्टिविस्ट सुनील अहिया और रामबिलास द्वारा भी एक याचिका दायर की गई है। एक्टिविस्ट सुनील अहिया और रामबिलास द्वारा भी एक याचिका दायर की गई है। जिसमें ईवीएमएस के सोर्स कोड में बदलाव की बात कही गई जिससे इन्हें टैम्पर प्रूफ बनाया जा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह द्वारा दायर याचिका विक्रम सिंह की उस याचिका का खारिज कर दिया है जिसमें चुनाव प्रचार के दौरान बाइक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगाई जाने की मांग की थी। याचिका में लोगों को होने वाली असुविधा और पर्यावरण को नुकसान की बात को आधार बनाया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसा करने से पर्यावरण का नुकसान होता ही है साथ ही आयोग द्वारा जारी दिशा निदेर्शों का भी उल्लंघन होता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें नही लगता इस पर सुनवाई की जरूरत है।