कॉटन कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया ने खुले बाजार में कपास बेचने का फैसला किया

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इंदौर। घरेलू बाजार में कपास की लगातार बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से कॉटन कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया ने अप्रैल से खुले बाजार में कपास बेचने का फैसला किया है। सीसीआई ने अक्टूबर 2018 से शुरू फसल सीजन में अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 10.60 लाख गांठ कपास की खरीद की है। इसके अलावा निगम अब तक 400 गांठ कपास की व्यावसायिक खरीद भी कर चुका है। वैसे व्यावसायिक खरीद का लक्ष्य 4.5 लाख गांठ का है। सीसीआई को कपास की बिकवाली इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि पिछले करीब एक हफ्ते के दौरान कपास की कीमतों में करीब 2,000 रुपए प्रति खंडी की तेजी आई है। गुजरात में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर 44,000-44,500 रुपए प्रति खंडी हो गया है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अनुसार चालू सीजन में कपास का उत्पादन घटने का अनुमान है। इसीलिए घरेलू बाजार में कपास के भाव बढ़े हैं। भाव में और तेजी आती, लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने की वजह से निर्यात पहले की तुलना में कम फायदेमंद रह गया है। इस वजह से निर्यात घटा है। रुपए की विनिमय दर फिलहाल करीब 7 महीने के ऊपरी स्तर पर है। कॉटन एडवाईजरी बोर्ड के मुताबिक फसल सीजन 2018-19 में 361 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले साल 370 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। कृषि मंत्रालय के दूसरे शुरूआती अनुमान के मुताबिक चालू सीजन में कपास का उत्पादन 7 प्रतिशत घटकर 324 लाख गांठ रह जाने अनुमान है। है। कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया के मुताबिक चालू सीजन में 330 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है। सीसीआई के अनुसार फसल सीजन 2018-19 के दौरान 10 मार्च तक उत्पादक मंडियों में कपास की आवक पिछले साल की समान अवधि में आवक के मुकाबले 5.66 प्रतिशत घटकर 233 लाख गांठ की रह गई है। पिछले साल इस समय तक 247 लाख गांठ कपास की आवक हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास वायदे का मई कांट्रैक्ट 75.50 सेंट प्रति पाउंड है। अक्टूबर से शुरू हुए चालू सीजन में करीब 35 लाख गांठ कपास का निर्यात हो गया है, जबकि इस दौरान करीब 10 लाख गांठ का आयात भी हुआ है। कॉटन इंडस्ट्री ने चालू सीजन में 50 लाख गांठ कपास निर्यात का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले सीजन में 69 लाख गांठ का निर्यात हुआ था। चालू सीजन में बंगलादेश में आयात मांग अच्छी रही है, हालांकि मार्च में पाकिस्तान को कपास के निर्यात में काफी कमी आई है और इसमें बढ़ोतरी के आसार भी कम हैं।