डायबिटीज के मरीज हैं तो फाइबर्स ज्यादा लें

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डायबिटीज जीवन भर चलने वाली बीमारी है। अगर यह एक बार हो जाए तो इसे केवल कंट्रोल कर सकते हैं, पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते। डायबिटीज को कंट्रोल करने में शुगर लेवल को मेनटेन करना काफी अहम होता है। शुगर लेवल को मेनटेन करने में यह बात बहुत मायने रखती है कि आप खाते क्या हैं और कितना खाते हैं। डायबिटीज मैनेजमेंट का मतलब यह नहीं है कि किसी फूड को पूरी तरह से बंद करना है। बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि अगर आप ज्यादा शुगर या ज्यादा काबोर्हाइड्रेट वाले फूड को खाना चाहते हैं तो साथ में फाइबर्स की मात्रा बढ़ा दें। ब्लड लेवल में शुगर की तेजी से बढ़ोतरी को फाइबर्स बैलेंस करने का काम करते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप आलू खाना चाहते हैं तो साथ ही ढेर सारा सलाद भी जरूर खाएं। सलाद में फाइबर होते हैं जो ब्लड में शुगर लेवल में अचानक बढ़ोतरी को रोकते हैं। अक्सर एक सवाल और पूछा जाता है कि डायबिटीज के मरीज फल खा सकते हैं तो क्या फलों का जूस भी पी सकते हैं, इसका जवाब है. नहीं। फलों के जूस में केवल और केवल शुगर होती है। शुगर को बैलेंस करने वाले फाइबर इसमें बिल्कुल नहीं होते। इसलिए फलों के जूस की थोड़ी सी भी मात्रा डायबिटीज के मरीज के लिए घातक हो सकती है। अतरू फलों का जूस पूरी तरह अवॉइड करें। कौन सा फूड डायबिटीज के मरीज के लिए अच्छा और कौन सा खराब, इसके निर्धारण में ग्लाइसेमिक इंडेक्स जीआई और ग्लाइसेमिक लोड जीएल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स बताता है कि अमुक फूड में मौजूद काबोर्हाइड्रेट्स शरीर के ब्लड शुगर लेवल को कितनी तेजी से प्रभावित करता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स को 1 से 100 की रैंकिंग पर मापा जाता है। जिस फूड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स जितना कम होगाए डायबिटीज के मरीज के लिए वह उतना ही अच्छा होगा। 55 या उससे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड को ही डायबिटीज के मरीज के लिए अच्छा माना जाता है। डाइबिटीज के मरीज को एक और पहलू पर ध्यान देना चाहिए और वह है ग्लाइसेमिक लोड। किसी फूड का ग्लाइसेमिक लोड यह बताता है कि अमुक फूड की कितनी मात्रा से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाएगा। जिन फूड का ग्लाइसेमिक लोड 20 से कम होता है, उन्हें डायबिटीज के मरीज के लिए सुरक्षित माना जाता है। ग्लाइसेमिक लोड का संबंध अमूमन किसी फूड विशेष में काबोर्हाइड्रेट की मात्रा से होता है। हम यहां उन सीजनल फलों की सूची दे रहे हैं जो आमतौर पर काफी लोग खाते हैं और इनको लेकर डायबिटीज के मरीजों में अक्सर दुविधा बनी रहती है। अंगूर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स तो कम यानी 46 होता है। लेकिन एक छोटे से अंगूर में ही करीब 0.4 ग्राम शुगर होती है। इसलिए अगर बहुत ज्यादा अंगूर खा लेंगे तो शरीर में ग्लाइसेमिक लोड बढ़ जाएगा। इसलिए अपनी पूरी मुट्ठी में जितने अंगूर आते हैं, उसके करीब आधी मात्रा में ही खाएं। तरबूज का जीआई 72 होता है, लेकिन प्रति 100 ग्राम में शुगर की मात्रा केवल 6 ग्राम होती है जिससे जीएल बहुत कम 2 होता है, यानी सुरक्षित पैमाने के अंदर। इसलिए इसकी एक-दो स्लाइस खाई जा सकती हैं। आम का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 56 होता है यानी सुरक्षित पैमाने से एक ज्यादा। लेकिन यहां भी यह देखना होगा कि इसमें ग्लाइसेमिक लोड कितना होता है। एक बड़े आम में शुगर की मात्रा 26 ग्राम होती है। इसलिए डायबिटिक्स के लिए आम सुरक्षित नहीं है। एक दिन में आम की एक स्लाइस भर खाई जा सकती है। केले का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 होता है यानी सुरक्षित पैमाने पर होता है। लेकिन एक छोटे केले में ही शुगर की मात्रा लगभग 10 ग्राम होती है। इसलिए बेहतर होगा कि एक बार में आधा केला ही खाया जाए।