नई दिल्ली । वायुसेना की खरीद से जुड़ी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में राफेल डील से जुड़े विवरण भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 126 विमानों की पुरानी डील से तुलना करें तो 36 राफेल विमानों का नया सौदा कर भारत 17.08% पैसा बचाने में कामयाब रहा। यूपीए सरकार के वक्त की गई डील की तुलना में नया राफेल सौदा 2.86% सस्ता पड़ा। वहीं पुरानी डील के मुकाबले नई डील में 18 विमानों की डिलीवरी का समय बेहतर है। शुरूआती 18 विमान भारत को पांच महीने जल्दी मिल जाएंगे। राज्यसभा में कैग रिपोर्ट रखे जाने के बाद अरुण जेटली ने ट्वीट किया। राज्यसभा में रखी गई कैग रिपोर्ट ने ष्सत्यमेव जयतेश् कथन को सही साबित कर दिया। ऐसा नहीं हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट गलत हैए कैग गलत है और केवल राजशाही कांग्रेस ही सही है। महाझूठबंधन के झूठ को कैग रिपोर्ट ने उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2015 में रक्षा मंत्रालय की एक टीम ने 126 राफेल सौदे को रद्द करने की सिफारिश करते हुए कहा था कि दैसो एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाला नहीं था और यूरोपियन एयरोनॉटिकल डिफेंस एंड स्पेस कंपनी ईएडीएस का प्रस्ताव भी टेंडर की शर्तों के मुताबिक नहीं था। अरुण जेटली ने ट्वीट किया कि राफेल पर कैग की रिपोर्ट आने से महागठबंधन के झूठ का पर्दाफाश हो गया। जो लोग देश से लगातार झूठ बोल रहे हैं, देखना यह है कि लोकतंत्र उन्हें कैसे सजा देगाघ् यह नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट गलत हो, कैग गलत हो, केवल एक परिवार सही हो। सत्य की हमेशा जीत होती है। कैग की रिपोर्ट ने हमारी बातों पर मुहर लगा दी। जेटली ने कहा कि 2016 और 2007 के दौरान रही सरकारों की तुलना करें तो आज कीमतें कम हुई हैं। काम की डिलीवरी तेज हुई है। रखरखाव बेहतर हुआ और महंगाई कम बढ़ी। अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अफसरों की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि मोदी सरकार की राफेल डील यूपी सरकार के समय मिले आॅफर से बेहतर नहीं है। मोदी सरकार ने 36 तैयार राफेल लड़ाकू विमानों की डील है। जबकि यूपीए के समय दैसो कंपनी ने 126 राफेल विमानों का आॅफर दिया था। भारतीय वातार्कारों के दल में शामिल इन तीनों अफसरों ने 1 जून 2016 को वातार्कार दल के प्रमुख और डिप्टी चीफ एयर स्टाफ को सौंपे नोट में ये बातें कही थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफसरों ने कहा था कि नई डील में 36 में से 18 राफेल विमानों की डिलिवरी भी पुराने आॅफर के तहत मिलने वाले 18 विमानों से धीमी रहेगी। ड्राफ्ट सौदे में फ्लायअवे विमानों की डिलिवरी का समय 37 से 60 महीने के बीच तय किया गया था। लेकिन फ्रांस ने बाद में डिलिवरी का वक्त 36 से 67 महीने तय कर दिया। वहीं यूपीए सरकार के समय फ्रांस सरकार ने 18 राफेल विमानों की डिलिवरी का समय 36 से 53 महीने के बीच तय किया था। इस बीच राफेल की सौदेबाजी करने वाली टीम के अध्यक्ष एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि टीम के 3 सदस्यों ने कुछ सवाल उठाए थे और उन पर फाइनल रिपोर्ट में पूरी तरह से ध्यान दिया गया। इन सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों को विचार-विमर्श के तौर पर देखा जाना चाहिए। इसे असहमति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।