प्रदेश के 48 शासकीय विभागों के 680 अधिक कार्यालयों में लाखों अनियमित कर्मचारियों कर्मचारी कार्यरत है| इन अनियमित कर्मचारियों के वेतन देने का मुख्य 2 पद्धित है प्रथम, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 अनुसार श्रम विभाग द्वारा निर्धारित किये जाने वाले न्यूनतम वेतन दर एवं दूसरा वित्त विभाग द्वारा जारी की जाने वाली संविदा दर|
श्रम विभाग द्वारा न्यूनतम वेतन दर वर्ष 2017 में किया था विगत छमाही की तुलना में इस छमाही में केवल रु. 8 से 9 प्रति दिवस बढ़ाये जाने प्रदेश के लाखो अनियमित कर्मचारियों को दोहरा नुकसान हो रहा है| राज्य सरकार वेतन संहिता 2020 को राज्य में लागु करने टालमटोल कर रहा है और प्रक्रियाधीन है करके अपना पल्ला झाड़ रहा है| इसी प्रकार श्रम विभाग नेशनल फ्लोर रेट लागु करवाने में कोई रूचि नही ले रहा है| इससे छत्तीसगढ़ के तुलना में अन्य प्रदेश के न्यूनतम दर में 50 से 60 प्रतिशत का अंतर होने से बढती महगाई में प्रदेश के 50 हजार से अधिक अनियमित कर्मचारियों को भारी नुकसान हो रहा है तथा इनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत ख़राब हो रही है| वित्त विभाग द्वारा जारी की जाने वाली संविदा दर अगस्त 2021 से लंबित है| संविदा दर पूर्व में डेढ़ वर्ष, दो वर्ष में बढाया जाता रहा था परन्तु अद्यतन ढाई वर्ष होने के उपरांत भी वृद्धि अपेक्षित है, औसतन प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत वृद्धि के अनुरूप वर्तमान में प्रदेश के लाखों अनियमित कर्मचारियों को 20 से 25 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है| अंतिम रूप से अगस्त 2019 में लेवल 1 से 16 में वृद्धि किया था| सरकार इस दोहरे व्यव्हार से संविदा वेतन पाने वाले कर्मचारियो में भारी आक्रोश है| एक ओर प्रदेश सरकार जन-प्रतिनिधियों के वेतन में निरंतर वृद्धि कर रही है वही दूसरी ओर प्रदेश लाखो अनियमित कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि न कर प्रदेश के युवाओं के साथ घोर अन्याय कर रहा है| क्या बाजार में एक ही वस्तु का दाम नियमित कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों के लिए अलग एवं अनियमित कर्मचारियों के अलग हो सकता है| क्या यह सरकार जन कल्याणकारी नहीं है| यह सरकार सत्ता में आते ही प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था परन्तु नियमितीकरण अद्यतन अपेक्षित है| सरकार के अनदेखी से प्रदेश के लाखो अनियमित कर्मचारी आक्रोशित है | छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ 5 सूत्रीय मांगों यथा-नियमितीकरण, छटनी रोकने/पृथको की बहाली, अंशकालीन से पूर्णकालीन, आउट सोर्सिंग बंद, कोर्ट केस की वापसी के लिए संघर्ष तेज करेगा| वर्षों से संविदा वेतन नहीं बढ़ाना, न्यूनतम वेतन दरों में 5 वर्षों में भी वृद्धि नहीं कर प्रदेश के युवाओं के साथ मजाक कर रहा है|हम आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से अनुरोध करते है कि संविदा वेतन एवं न्यूनतम वेतन दर का पुनर्निधारण का तत्काल कर राहत दें|