रायपुर – भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज प्रदेश के वनमंत्री मोहम्मद अकबर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी, सरकार, व विभाग अपनी-अपनी नाकामी को छुपाने के लिए रोज नई-नई कहानी गढ़ रहे है। उन्होंने वन मंत्री को इस मुद्दे पर कहा कि अगर सरकार आदिवासियों के बीमा, बोनस, लाभांश, छात्रवृत्ति के मामले में सही है तो मीडिया व जनता के सामने स्वेतपत्र जारी कर दस्तावेज क्यो प्रस्तुत नही करती। उन्होंने वन मंत्री से प्रश्न किया कि 1) बीमा की नवीनीकरण की अंतिम तिथि क्या 31 मई 2019 थी।
(2) क्या 31 मई 2019 अंतिम तिथि को राज्य सरकार ने बीमा का नवीनीकरण करा लिया था।
(3) क्या दो सत्र का आदिवासियों का बोनस व लाभांश का पैसा बैंक में जमा कर ब्याज कमाया जा रहा है।
(4) क्या तेंदुपत्ता संग्राहक आदिवासी परिवार को दो सीजन का बोनस 597 करोड़ दे दिया है, नही तो क्यों?
(5) क्या आदिवासियों की सहकारी समितियों को लाभांश का 432 करोड़ वितरित कर दिया है, नही तो क्यों?
(6) क्या तेंदूपत्ता संगा्रहक आदिवासियों के बच्चो को 2 सत्र की छात्रवृत्ति दे दी गई है, नही तो क्यों?
(7) बीमा योजना बंद करने से पहले दूसरी योजना लाई गई थी।
(8) बीमा योजना के बंद होने से व दूसरी योजना चालू नही कर पाने के कारण इस बीच जो हजारो संग्राहक प्रभावित परिवार है उसे कैसे व किस मद से सहायता करेंगे?
आखिर इन सब विषयों पर वन मंत्री चुप क्यों है? क्यों नही इस सब विषयों पर दस्तावेज सामने रखते। सिर्फ बयानबाजी कर अपनी गलतियों पर पर्दा नही डाल सकते।
श्री अग्रवाल ने आज फिर कहा कि अगर सरकार आज ही तेंदूपत्ता संग्रहको के बीमा, बोनस, लाभांश छात्रवृत्ति के मामले व पूर्व बीमा व योजना व ये जो श्रम विभाग की योजना की ातकर रहे है। उनकी राशि सहित संभी अंतर को बताते हुए तत्काल स्वेत पत्र जनता के सामने जारी करे। दुध का दुध व पानी का पानी प्रदेश की जनता के सामने आ जायेगा।
अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी व वन मंत्री पर गलत बयानी का आरोप लगाते हूए आज 4 पत्र मीडिया को जारी किया व कहा कि क्या 04/05/2019 को भारतीय जीवन बीमा निगम ने बीमा के नवीनीकरण हेतु संघ को पत्र लिखा था। क्या छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ रायपुर के कार्यकारी संचालक ने प्रबंध संचालक, जिला वनोजप सहकारी यूनियन को 03/06/2019 को 01/06/2019 के बीमा के नवीनीकरण किए जाने हेतु 34 कालम में जानकारी मांगी थी। क्या 10/10/2019 को पुनः संघ ने 01/06/2019 के नवीनीकरण के लिए जानकारी मांगने पत्र लिखा था। वनमंत्री पहले यह पता कर ले कि संघ ने 01/05/2019 को जो पत्र यूनियनों केा लिखा था उसमें संग्रहको की सूची तैयार कर 2 माह में भिजवाने कहा था जबकि नवीनीकरण की अंतिम तिथि ही 31 मई 2019 थी। अर्थात तेंदुपत्ता संग्राहको की बीमा कराने को लेकर राज्य सरकार ने नीयत मे ही खोट थी।
अग्रवाल ने कहा कि वन विभाग की विकास योजना शाखा का पत्र जिसमे 29/08/2019 को संघ से जानकारी मांगी गई है। जानकारी के अभाव में इस हेतु प्रावधानित राशि के समर्पण की बात भी लिखी गई है। जबकि बीमा नवीनीकरण की अंतिम तिथि 31/05/2019 थी। यह पत्र वन मंत्री ने प्रेसवार्ता में समाचार पत्रो को दिया था। इसी पत्र से साबित हो गया है बीमा के समय निकल जाने के 3 माह बाद तक भी संघ में संग्रहको की कोई जानकारी ही नही भेजी गई थी। तब कहा से बीमा होता।
अग्रवाल ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहक आदिवासी परिवार के साथ इस सरकार ने छल व कपट किया है जो पत्र भारतीय जीवन बीमा निगम का बार-बार दिखा रहा है वह पत्र 10/10/2019 को योजना बंद होने का दिखाया जा रहा है। जो नवीनीकरण के अंतिम तिथि के 5 माह बाद का है। क्या मंत्री व विभाग व पूरी सरकार 5 माह तक सोती रही है। क्यों नही कराया नवीनीकरण। निर्धारित दिनांक 31/05/2019 को अगर नवीनीकरण करवा दिया जाता तो नवीनीकरण करवाने से योजना लागू रहती। सरकार की लापरवाही से ही बीमा बंद हुई है। सरकार को तो इस लापरवाही की जांच करवाकर दोषी सभी लोगो को दंडित करना चाहिए, जिन्होंने आदिवासी परिवारों के साथ अन्याय किया है।
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